प्रशांत सिंह, गाजीपुर : लॉकडाउन की इस स्थिति में न केवल इंसान परेशान हैं, बल्कि सड़कों-गलियों में घूमने वाले आवारा जानवरों को भी काफी दिक्कत हो रही है। एक महीने से ज्यादा समय से लागू लॉकडाउन का साइड इफेक्ट जानवरों पर भी दिखने लगा है। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को इस कदर चपेट में लिया है कि तमाम देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। भारत में भी पूरी तरह से लॉकडाउन है, जो 17 मई तक जारी रहेगा। इस पूरे समय के दौरान न केवल देश के आम जन को परेशानी हो रही है, बल्कि सड़कों-गलियों में घूमने वाले आवारा जानवर भी भूख-प्यास से परेशान हैं। ऐसे में जानवरों से प्यार कर ने वाले बहुत से लोग अपने-अपने स्तर पर उन्हें खाना-पानी देने की व्यवस्था कर रहे हैं।
प्यास बुझाने के लिए गांवों की ओर रूख
इस दौरान तालाब खोदाई और नहर की मरम्मत न होने से जंगली जानवरों के लिए पानी की समस्या होने लगी है। प्यास बुझाने के लिए वे गांवों की ओर रूख कर रहे हैं। इन दिनों हिरण और नीलगाय काफी संख्या में दिख रहे हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही ताल-तलैया सूखने लगे हैं और वन्य प्राणियों की परेशानी बढ़ने लगी है। स्थानीय क्षेत्र में जल स्त्रोतों के सूखने से वन्यजीव भी पेयजल के लिए भटकने लगे हैं। जंगली हिरण, नीलगाय, खरगोश, लोमड़ी व सियार सहित अन्य कई वन्यजीवों के लिए पानी की समस्या खड़ी होने लगी है। पानी की कमी होने से वन्यजीव पानी की तलाश में भटकते हुए गांव तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में इनके शिकार होने का खतरा बना रहता है। इस समय भोजन-पानी की तलाश में वन्यजीवों का रिहायशी इलाकों में आना आम बात है।