साहित्य

नमन कलम से उन्हें जो विपदा में संग खड़े रहे- अर्चना सैनी

कोरोना वारियर्स डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान में युवा कवि अर्चना सैनी ने कविता के माध्यम से कोरोना योद्धाओ को धन्यवाद दिया है- मैं नमन कलम से उन्हें करूं जो विपदा में संग खड़े रहे हम घर में अपने रहें सुरक्षित वे चौराहों पर खड़े रहे कभी प्यार से कभी डांट के कभी अनेकों रूप बदल के सड़कों […]

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एक प्रेम कहानी ‘लाइन ऑफ कंट्रोल- ध्रुव गुप्त

बात बहुत मामूली थी।  सबेरे नौ बजे शहर के अहीर टोले का एक लड़का गोपीचंद यादव हमेशा की तरह साइकिल से कॉलेज जा रहा था। बी.ए फाइनल ईयर का छात्र था। रास्ते में मुसलमानों का एक मुहल्ला था दिलावरपुर। दिलावरपुर की एक गली से हाथों में किताबें लिए मलिक सईद नाम की एक लड़की उसी […]

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प्रेम शाश्वत है!

  निधि चौहान एक स्कूल में शिक्षिका है और सक्रिय तौर पर सामाजिक-मनोविज्ञान और लोक महत्व के विषयों पर कविता-लेख लिखती रहती है। आज हम अपने साहित्य अंक में इनकी स्त्री व्यथा पर लिखी एक कविता से आप सबको रूबरू करा रहे है।   प्रेम तुमको खोजना पड़ा प्रेम उन पुस्तकों में। जो लिखी थी […]

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स्त्री व्यथा पर निधि चौहान की कविता “नारी व्यथा”

द फ्रीडम न्यूज के साहित्य कॉलम में आज हम आपको रूबरू करवा रहे हैं युवा साहित्यकार निधि चौहान से। एक स्कूल में बतौर प्रिन्सिपल कार्यरत निधि चौहान सक्रिय तौर पर सामाजिक-मनोविज्ञान और लोक महत्व के विषयों पर कविता-लेख के माध्यम से खुद को व्यक्त करती रहती हैं। आप भी पढ़िए इनकी स्त्री व्यथा पर लिखी […]

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अंतःकरण जिसका शुद्ध होता है, वह जानता है प्रतिपल, मैं परमात्मा में हूं – ओशो

सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी। नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन्।। और हे अर्जुन, वश में है अंतःकरण जिसके, ऐसा सांख्ययोग का आचरण करने वाला पुरुष निःसंदेह न करता हुआ और न करवाता हुआ, नौ द्वारों वाले शरीररूप घर में सब कर्मों को मन से त्यागकर, अर्थात इंद्रियां इंद्रियों के अर्थों में बर्तती हैं, ऐसा […]

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तुम प्रेम और मोह में भेद नहीं समझ पा रहे हो- ओशो

प्रेम में कोई किसी को रोक ही नहीं सकता। जिससे तुम प्रेम करते हो, वह भी नहीं रोक सकता तुम्हें प्रेम में। कैसे रोक सकता है? प्रेम तो तुम्हारा दान है। और प्रेम कभी असफल नहीं होता–हो ही नहीं सकता। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेम तुम करोगे तो वह तुम्हें मिल ही जाएगा। […]

जब सात दिन चुप रहे गौतम बुद्ध...
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जब सात दिन चुप रहे गौतम बुद्ध – ओशो

कहते हैं बुद्ध को जब ज्ञान हुआ तो वह सात दिन चुप रह गए। चुप्पी इतनी मधुर थी। ऐसी रसपूर्ण थी, ऐसी रोआं-रोआं उसमें नहाया, सराबोर था, बोलने की इच्छा ही न जागी। बोलने का भाव ही पैदा न हुआ। कहते हैं, देवलोक थरथराने लगा। कहानी बड़ी मधुर है। अगर कहीं देवलोक होगा तो जरूर […]

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विक्रम सिंह चहल की कविता एक छोटी क्रांति- अपना वजूद

कल पड़ोस मे चीखें उठी तो मैं भी पहुँचा , देखा तो आवाज़े सूखी सूखी थी लहू आँख से छलक रहा था पगलाया एक बाप दौड़ दौड़ सब से कहता मेरी फूल सी गुड़िया रौंद दिया ज़ालिम ने माँ ढूँढ रही थी बेटी के बदन पे कुछ साँसें , काश कहीं कोई नस फिर धड़क […]

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भारती गौड़ के जाह्नवी उपन्यास की समीक्षा

लेखिका भारती गौड़ का जाह्नवी पहला उपन्यास है और उन्हें इसी उपन्यास के लिए पंडित प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान भी मिला है। सामाजिक-मनोविज्ञान विषयवस्तु के साथ लिखा गया ये उपन्यास समकालीन विमर्श के आवश्यक लोक विषयों को बहुत ही खूबसूरती से उठाता है। एक औरत के ख्वाब, उसका दामपत्य जीवन, सामाजिक विद्रूपता […]