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कोरोना के डर से कई राज्यों से लौट रहे मजदूरों के रोजगार को लेकर चिंतित बिहार सरकार

महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में कोरोना वायरस संक्रमण के रिकॉर्ड मामले आने और कई बंदिशों के बीच वहां रह रहे बिहार के लोग बड़ी संख्या में वापस आने लगे हैं। इन लोगों के वापस आने के लिए रेलवे द्वारा जहां विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं, वहीं आ रहे मजदूरों के रोजगार के लिए बिहार सरकार को अब चिंता सताने लगी है। सरकार बाहर से आए मजदूरों को रोजगार देने के लिए पंचायत स्तर पर मैपिंग करने की योजना बनाई है।

श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जीवेश कुमार कहते हैं कि संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद बड़ी संख्या में लोग बिहार लौट रहे हैं। ऐसे लोगों की पंचायतवार मैपिंग कराकर अकुशल श्रमिकों को मनरेगा और कुशल लोगों को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि मैपिंग होने से उनकी कार्यकुशलता की जानकारी विभाग के पास उपलब्ध हो जाएगी, जिससे उनको रोजगार देने में सहूलियत हो सकेगी।

आने वाले लोग कहते हैं कि जिस तरह से पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उससे लॉकडाउन की आशंका है, ऐसे में पिछले वर्ष जैसी स्थिति न हो, इस कारण हमलोग पहले ही अपने राज्य वापस लौट रहे हैं।

श्रम विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि विभाग पंचायत स्तर पर आने वाले मजदूरों की मैपिंग का काम जल्द शुरू करेगा। उनकी दक्षता और क्षमता के हिसाब से संबंधित क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार की व्यवस्था की जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष विभाग ने लौटे प्रवासी मजदूरों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए एक पोर्टल विकसित किया था। पिछले वर्ष विभाग ने प्रवासी मजदूरों का निबंधन भी किया था। एकबार फिर ऐसी ही तैयारी विभाग द्वारा की जा रही है।

विभाग के एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि भवन निर्माण से जुड़े कामगार हैं, वे अपना निबंधन करा सकते है। इसमें राजमिस्त्री, मजदूर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर सहित कुशल मजूदर अपना निबंधन करा सकते हैं।

विभाग ने ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग सहित कई अन्य विभागों से चल रहे कार्यो की सूची कार्यस्थल पर लगाने की सलाह दी है, जिससे काम मांगने वालों को कोई समस्या नहीं हो सके।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन ने कोरोना के आपदा में अवसर की तलाश करते हुए बाहर से आए कुशल मजदूरों की पहचान कर जिले में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की योजना बनाई थी, जो आज एक मॉडल के रूप में विकसित हो गया है। श्रम संसाधन विभाग इस मॉडल को अन्य क्षेत्रों में भी उतारने की योजना बना रही है।

द फ्रीडम स्टॉफ
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