डलमऊ: मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने को हैं। 2014 के चुनाव के पहले वादों पर वादे करने वाले बीजपी और नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में गंगा हमेशा से थी। चुनाव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के दिलों में बस रहे एक अहम मुद्दे को छेड़ा जब उन्होंने कहा कि वो गंगा को फिर से जीवित करेंगे। 2014 में लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने कहा था कि ‘ये मेरा सौभाग्य है कि मैं मां गंगा की सेवा करूं.’ प्रधानमंत्री ने नमामी गंगे प्रोजेक्ट को लॉन्च किया और 20,000 करोड़ रुपये का बजट दिया। लक्ष्य 5 साल का रखा गया लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर रिसोर्सेज के डेटा की मानें तो नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काफी धीमी गति से काम हुआ है।
रायबरेली के डलमऊ में कल कल ध्वनि के साथ प्रवाहित होने वाली गंगा की धारा अब महज एक नहर बन कर रह गई है। गंगा में पानी की कमी से जलीय जीव अपना जीवन को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
डलमऊ में गंगा की एक किमी से अधिक चौड़ी धारा पानी के अभाव में महज एक नहर बनकर रह गई है। यदि शीघ्र ही गंगा में पानी न छोड़ा गया तो गंगा के पानी पर आश्रित रहने वालों पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। डलमऊ में गंगा कभी काफी चौड़ाई से बहती थी लेकिन वर्तमान समय में गंगा में पानी इतना कम है की कोई भी आसानी से गंगा पार कर सकता है। हाल यह है कि डलमऊ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को गहरे स्थान की तलाश करनी पड़ रही है। डलमऊ बड़ा मठ के महामण्डलेश्वर स्वामी देवेंद्रा नन्द गिरि ने बताया कि गंगा में पानी की कमी के कारण जल दिन ब दिन दूषित व विषैला होता जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर जलीय दावों का जीवन संकट में है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट ने गंगा के पानी को पीने क्या, नहाने लायक भी नहीं माना है। हाल ही में पीएमओ ने गंगा मंत्रालय के अधिकारियों से पूछा कि आखिर तीन साल बाद इस मुद्दे पर जनता को क्या जवाब दिया जाए। जाहिर है अधिकारियों के जवाब से प्रधानमंत्री कार्यालय भी संतुष्ट नजर नहीं आया।