उज्जैन से अजय सिंह के साथ यूपी ब्यूरो : कानपुर के कुख्यात विकास दुबे के इनकाउंटर पर उठ रहे सवालों पर यूपी एटीएस ने एक बयान जारी कर अपना पक्ष रखने या सफाई देने की कोशिश की है। हालांकि उसने शुक्रवार की सुबह हुई कथित सड़क दुर्घटना से लेकर विकास के इनकाउंटर तक व अस्पताल ले जाने तक की जो कहानी बतायी है उस पर भी प्रश्न पूछे जा रहे हैं।। एक सवाल यह भी है कि इनकाउंटर में गोली विकास दुबे के सीने में कैसे लगी।
यूपी एटीएस की अपनी थ्योरी के अनुसार, जब गाड़ी पलटी तो उस पर सवार पांच पुलिस अधिकारी व कर्मी कुछ देर के लिए बेहोश हो गए और उनके साथ बैठा दुर्दांत अपराधी विकास दुबे होश में था और उसने घटना का फायदा उठाया और इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की पिस्टल छीन कर वह कच्चे रास्ते से भागने लगा। फिर पीछे से पुलिस काफिले की दूसरी गाड़ी आयी जिसमें पुलिस दल के लीडर व डीएसपी तेज बहादुर सिंह मौजूद थे तो उन्हें घायल पुलिस कर्मियों ने सारी कहानी बतायी। इसके बाद डीएसपी ने घायलों का इलाज करवाने का निर्देश दिया और विकास दुबे का उनके नेतृत्व में पुलिस ने पीछा किया।
दुर्घटनाग्रस्त वाहन पर इंसपेक्टर रमाकांत पचौरी, सब इंसपेक्टर पंकज सिंह, अनूप सिंह, व कांस्टेबल सत्यवीर व प्रदीप कुमार थे। उन्हें गाड़ी पलटने से गंभीर चोट लगी और वे सब बेहोश हो गए थे। एसटीएफ के बयान के अनुसार, उज्जैन से लंबे सफर पर आने के कारण ड्राइवर थक गया था और कानपुर जिले के सचेंडी थाना के अंतर्गत कन्हैया लाल अस्पताल के सामने रोड पर के गायों व भैंसों के झुंड को बचाने के लिए उसने गाड़ी अचानक मोड़ी जिससे वह पलट गई।