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उमा भारती का रामदेव को पत्र, चालाकी, चापलूसी और साजिश मुझे नहीं आती

उमा भारती बाबा रामदेव के एक बयान से बेहद आहत हैं। उमा भारती ने बाबा रामदेव को एक पत्र लिखकर कहा है कि पूरी दुनिया के सामने लंदन से किसी टीवी चैनल पर उनके बारे में चर्चा करते समय शायद बाबा रामदेव को यह ध्यान नहीं रहा कि वे निजी तौर पर उनके आत्मसम्मान पर आघात कर रहे हैं। उमा भारती ने पत्र में लिखा है कि उनके मुंह से निकला ऐसा कोई भी जुमला उन्हें (उमा भारती) हानि पहुंचा सकता है।

बता दें कि बाबा रामदेव ने लंदन में एक टीवी चैनल से बातचीत में गंगा स्वच्छता कार्यक्रम के संदर्भ में एक सवाल के जवाब में कहा था कि उमा जी की फाइल आफिस में अटक जाती है जबकि गडकरी जी की फाइल नहीं अटकती। उन्होंने कहा था कि देश में सबसे ज्यादा किसी मंत्री का काम दिखता है तो वह नितिन गडकरी का है। बाबा रामदेव का ये बयान यहां विवाद की वजह बन गया है। बाबा रामदेव को लिखे पत्र में उमा भारती ने कहा कि मुझे आपके द्वारा गंगा की विवेचना करते समय दो मंत्रियों की तुलना करना अजीब लगा। मैं स्वयं भी नितिन गडकरी जी की प्रशंसक हूं। उन्होंने कहा कि आठ साल की उम्र से अभी तक इन 50 सालों में घोर परिश्रम, विचारनिष्ठा और राष्ट्रवाद मेरी शक्ति हैं और इसी विश्ववसनीयता ने राजनीति में मुझे उचित स्थान दिलाया है।

उमा भारती आगे पत्र में लिखती हैं, “चालाकी चापलूसी तथा साजिश मुझे आती ही नहीं है, इसी के बिना भी मेरा काम चल गया, आगे भी चल जाएगा।” उमा ने आगे लिखा है, “आप मेरे मार्गदर्शक हैं, तथा भारत के योग एवं स्वदेशी के मसीहा हैं, आपको तो यह बात ध्यान में रखनी ही पड़ेगी कि आपके मुंह से निकला कोई भी जुमला मेरे जैसे स्वयं की शक्ति के अधिष्ठान पर खड़े हुए व्यक्ति को बहुत हानि पहुंचा सकता है।” उमा भारती ने कहा आप मेरे मार्गदर्शक रहे हैं। अक्तूबर महीने में गंगोत्री से गंगासागर तक लाखों लोग गंगा के किनारे स्वच्छता और वृक्षारोपण कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे। मैं आपसे और सभी संतों से इसके लिए निवेदन करती हूं।

उमा भारती की चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है। बाबा रामदेव ने ट्विटर पर लिखा, “पूज्य उमा भारती जी के साथ मेरा आध्यात्मिक भाई-बहन का संबंध है। उनके सम्मान को आहत करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी। मेरा मकसद गंगा की कार्ययोजना पर उन्हें आ रही प्रारम्भिक व प्रशासनिक कठिनाइयों की ओर इशारा करना भर था। उनकी गंगा-निष्ठा, धर्म-निष्ठा और राष्ट्र-निष्ठा प्रशंसनीय है।”

 

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