बरेली: ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं को हक दिलाने के लिए लड़ रहीं आला हजरत खानदान की पूर्व बहू निदा खान को इमाम ने इस्लाम से बेदखल कर दिया है। बरेली के एक मुस्लिम मुफ्ती ने विवादित बयान दिया है। इस मुफ्ती ने कहा है कि दो महिलाओं को इस्लाम से बेदखल कर दिया जाएगा। इन दोनों महिलाओं ने तीन तलाक की प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई थी। इन महिलाओं में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी और निदा खान शामिल हैं। निदा खान आला हजरत परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मुफ्ती के इस बयान का जवाब देते हुए निदा खान ने कहा कि ये धर्म के ठेकेदार तब कहां थे जब मुस्लिम मुहिलाओं को तीन तलाक, निकाह हलाला, और बहुविवाह के नाम पर सताया जा रहा था। बता दें कि शुक्रवार को साप्ताहिक संबोधन में मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा था कि इन दोनों महिलाओं को इस्लाम से बेदखल कर दिया जाएगा।
तीन तलाक के खिलाफ छेड़ दी थी लड़ाई
बरेली की रहने वालीं निदा को उनके पति ने तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया था। उन्होंने पति के खिलाफ केस दर्ज कराया था। यही नहीं, इसके बाद उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी। इस्लाम से बेदखल करने के मामले में इमाम खुर्शीद आलम ने कहा, ‘दारुल इफ्ता से जो फतवा जारी होता है, यह एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि जो भी कुरान के कानून को नहीं मानेगा वह इस्लाम से खुद ही खारिज हो जाएगा। दारुल इफ्ता का काम सिर्फ इतना है कि वह सिर्फ हुक्म जारी कर दे। यह हुक्म जारी हुआ मरकजी दारुल इफ्ता से और शहर काजी ने खुद यह हुक्म जारी किया है।’
जारी किए गए फतवे के मुताबिक, निदा खान का हुक्का-पानी सब बंद कर दिया गया है। यही नहीं, फतवे में इस बात का भी जिक्र है कि यदि निदा बीमार पड़ती हैं तो उन्हें कोई देखने न जाएं, मरने पर जनाजे में शरीक न हों और न ही कब्रिस्तान में दफन होने दें।
महिलाओं को न्याय दिलाने का काम करता है संगठन
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बा नकवी की बहन फरहत और निदा दोनों अलग अलग संगठन चलाती हैं। ये संगठन मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने का काम करता है। इन संगठनों के पास तीन तलाक, हलाला, बहुविवाह से पीड़ित महिलाएं आती हैं। मुस्लिम समाज में काम करने और स्थापित दकियानूसी नियमों का विरोध करने की वजह से इन संगठनों को कई बार धमकियां मिल चुकी हैं। निदा ने कहा कि इस्लाम पर किसी का कॉपीराइट नहीं हैं। उन्होंने बताया कि वे इस्लाम को मानती हैं, जो कि 1400 साल पहले आया था, ना कि AIMPLB को। निदा के मुताबिक वे बेटियों और मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ती रहेंगी। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने महिलाओं को हमेशा से अपने अधीन रखा है, लेकिन अब वक्त बदल गया है।