ऋग्वेद में कहा गया है कि जो आदमी एक पेड़ लगाता है वो मानवता को एक स्थायी उपहार दे रहा है। मौजूदा दौर में शादी और जन्मदिवस जैसे मौकों पर जहां लोग दिखावे की चीजों पर पैसा व्यय करता नजर आते हैं वहीं रायबरेली के डलमऊ में एक अनोखी विचार धारा देखने को मिली। अक्सर आपने केक काट कर शादी की साल गिरह (वर्षगाँठ) मनाते हुए तो सुना होगा। लेकिन यहाँ एक जोड़े ने अनोखे तरीके से अपनी शादी की वर्षगाँठ का जश्न मनाया।
अपनी शादी की वर्षगांठ पर पर्यावरणविद् और पृथ्वी संरक्षण अध्यक्ष राजेंद्र वैश्य और सुमन वैश्य ने पीपल और बरगद जैसों वृक्षों को रोपित कर समाज को एक संदेश देने की कोशिश की। रायबरेली जिले में जल संरक्षण के लिए मुहिम चलने वाले राजेंद्र और उनकी पत्नी सुमन कहते हैं वृक्षारोपण हर आदमी के लिए पृथ्वी की देखभाल हेतु जिम्मेदारी का एहसास करने का नुमाइंदा बनने का अवसर है।
राजेंद्र कहते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पृथ्वी हर आदमी की जरूरतों को पूरा करती है लेकिन लालच नही। आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग–धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फेल कर हमारे पर्यावरण में भर जाती है। पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए।
एक अफ्रीकी कहावत एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली बल्कि यह हम पर हमारे बच्चों का उधार है। इस अवसर पर सरला वैश्य, शक्तिमान वैश्य, स्वाति अग्रहरि, इंजी महिमा, इंजी कात्यायनी उपस्थित रहे।