आशुतोष गुप्ता, रायबरेली: बीते कुछ दिनों में जिस तरह से अनेकों लोग ऑक्सीजन के आभाव में अकाल मौत के मुँह में समा गए हैं वह न सिर्फ रोंगटे खड़े करने वाला है बल्कि हमे सोचना होगा कि विकास कि दौड़ में हमने प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचाया है। जब देश में अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे हैं उस वक़्त यह खबर सुकून के जैसी है कि रायबरेली के एक स्कूल छात्र आयुष्मान लगातार वृक्षारोपण में लगे हुए हैं।
रायबरेली के डलमऊ में खाली जगह पर पेड़ लगाने वाले आयुष्मान को कोई नहीं रोक पाता ना सूरज की तपिश ना बहता हुआ पसीना। आयुष्मान से पूछने पर वो बताते हैं कि मुझे प्रकृति से प्यार हमेशा से रहा है लेकिन जब से मैंने ऑक्सीजन ना मिलने से हो रही मौतों के बारे में पढ़कर मेरा मन विचलित हो गया और मैं वही कर रहा हूँ जो मुझे ठीक लग रहा है।
छोटी उम्र में ही इतना गहरा चिंतन करने वाले आयुष्मान से जब उनकी प्रेरणा के बारे में बात की तो उन्होंने अपनी इस समझ का श्रेय अपने चाचा राजेंद्र वैश्य को बताया। यहाँ इस बात का उल्लेख करना ज़रूरी है कि आयुष्मान के चाचा राजेंद्र वैश्य जिले के मशहूर पर्यावरणविद हर मानसून में सैकड़ो की संख्या में वृक्षारोपड़ करते हैं।
आज का युग आधुनिक युग है, और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है, आज मनुष्य की हर एक सांस लेने पर हानिकारक है जहरीली गैसे मिली होती है। इसकी वजह से जहरीले सांस लेने के लिए हम मानव मजबूर है। इस्से हमारे शरीर पर कई विकृतियां पैदा हो रही है, कई तरह की बीमारियां विकसित हो रही है, वो दिन वो दिन दूर नहीं है, अगर पर्यावरण इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति इस प्रदूषण में विलीन हो जाएगी इसलिए समय रहते हमें इन प्रदूषण से हमारी पृथ्वी और हमारी जान बचानी है इसलिए इसके संरक्षण का उपाय हर व्यक्ति को करना आवश्यक है।
एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता आधी हो जाती है। इस तरह हम तीन लोगों से उसकी जिंदगी छीन लेते हैं। आज पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। इसलिए पौधे लगाने के साथ-साथ हमें पेड़ों को बचाने की जरूरत है। इसके लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है। अपने आसपास पेड़ों को न कटनेे दें, उसका विरोध करें। उसके आसपास आग न लगाएं। इसके अलावा किसी भी स्थान पर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूर होना चाहिए। इससे वहां के रहवासियों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा मिलेगी। और लोग स्वस्थ रहेंगे।