नई दिल्ली: अगर मेरी तरह आप भी दिल्ली में रहते हैं तो आपको शर्म आनी चाहिए। शर्म करने की वजह भी है। भारत की राजधानी दिल्ली, लकदक चमकने वाली, कभी ना सोने वाली। लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन वाली दिल्ली। सरकारी मंत्रालयों से भरे लुटियंस जोंस वाली दिल्ली। शाइनिंग इंडिया के नारों और पोस्टरों से पटी दिल्ली जो दिखाती है कि हम आगामी कुछ सालों में विश्व की महाशक्तियों में शुमार होने वाले हैं। उसी दिल्ली में भूख से तीन मासूम बच्चियों की मौत हो जाए तो ऐसी दिल्ली की चमक से उस भारत का क्या लेना देना जो एक जून की रोटी को आज भी तरस रहा है। आकंड़ों में गरीब की थाली चमक रही है मगर सच्चाई मौत के आस पास भटक रही है।
भूख की वजह से हुई मौत
शर्मसार कर देने वाला वाक्या आया है दिल वालों की दिल्ली में। पूर्वी दिल्ली के मंडावली में तीन मासूम बच्चियों की मौत भूख की वजह से हुई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टरों ने बताया है कि इन बच्चियों के पेट में एक दाना भी नहीं था और उन्हें काफी समय से पौष्टिक खाना नहीं मिला था, जिससे वे काफी कमजोर हो गई थीं। मंगलवार की सुबह घर से ये तीनों बच्चियां बेसुध मिली थीं, पड़ोसी उन्हें अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इनका पिता उस दिन से ही गायब है और मां मानसिक तौर पर कमजोर होने की वजह से कुछ साफ जानकारी नहीं दे पा रही है। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि इन बच्चियों की मौत एक ही रात में हुई या अलग-अलग समय पर हुई है। इस बीच दिल्ली सरकार ने तीनों बच्चियों की मौत की जांच के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
रिक्शा चलाता था पिता
पुलिस के मुताबिक बच्चियों का पिता मंगल ए-83, गली नंबर-14, साकेत ब्लॉक, मंडावली में रहता था। वह मकान मालिक मुकुल मेहरा का रिक्शा चलाता था लेकिन कुछ दिनों पहले असामाजिक तत्वों ने नशीला पदार्थ सुंघाकर रिक्शा लूट लिया। इससे वह कमरे का किराया भी नहीं दे पा रहा था। मंगल की पत्नी वीणा ने पुलिस को बताया कि शनिवार को मकान मालिक ने उसे कमरे से भी निकाल दिया। इसके बाद मंगल पत्नी व तीन बच्चियों को लेकर पंडित चौक स्थित अपने दोस्त नारायण के कमरे पर आ गया। रुपये न होने के कारण उन्हें खाना नहीं मिला। इससे बच्चियां बीमार हो गईं। वीणा ने उन्हें दवाइयां भी दी थीं। रविवार को पड़ोसियों को पता चला तो उन्होंने बच्चियों को खाना दिया, लेकिन वे बीमारी के कारण खाना खा नहीं पाईं। दोपहर के समय बच्चियां बेहोश हो गईं तो वीणा तीनों को लेकर एलबीएस अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सभी दवाइयों को एफएसएल लैब भेजा
पुलिस को बच्चियों की मां मानसिक रूप से कमजोर लग रही है। उसने पुलिस को बताया कि उसने बच्चियों को दवा दी थी। पुलिस ने कमरे से कुछ दवाइयों को कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए एफएसएल लैब भेज दिया है।
मेडिकल बोर्ड से दोबारा पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। – पंकज कुमार सिंह, पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त
मामले की जांच कराएंगे : भारद्वाज
आप नेता सौरव भारद्वाज ने घटना को दुखद बताया और कहा कि कमेटी बनाकर इसकी जांच करवाई जाएगी।
यह घटना शर्मसार करने वाली है। संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ऐसा हुआ है। सरकार को शर्म आनी चाहिए। हर जिले में बाल सुरक्षा समिति होती है जो बच्चों की पढ़ाई, पोषण और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखती है। वो क्या कर रही है। – राकेश सेंगर, बचपन बचाओ आंदोलन
वैश्विक भूख सूचकांक में भारत
12 अक्तूबर 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भूख एक गंभीर समस्या है और 119 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 100वें पायदान पर है।
दुनिया की भूख से पीड़ित 25 प्रतिशत आबादी अपने देश में रहती है।
19 करोड़ लोग कुपोषित हैं। बाल कुपोषण से स्थिति और बिगड़ी है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 40 प्रतिशत खाना बर्बाद होता है। यह खाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है।
भारत उत्तर कोरिया और बांग्लादेश जैसे देशों से पीछे है लेकिन पाकिस्तान से आगे है ।
भुखमरी सूचकांक में भारत
वर्ष सूचकांक
2013 63
2014 55
2015 80
2016 97
2017 100
मौत पर भी राजनीति
दिल्ली भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को आड़े हाथ लिया है। बुधवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इन बच्चियों की मौत की जिम्मेदार दिल्ली सरकार है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के हरेक परिवार को घर बैठे राशन पहुंचाने का दावा करते हैं। वहीं, उन्हीं की दिल्ली में इस तरह की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। तिवारी ने कहा कि इस घटना की विस्तृत जांच की आवश्यकता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि इस परिवार ने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया हुआ था, लेकिन उनका कार्ड नहीं बना। यह सरासर दिल्ली सरकार की विफलता है। इससे साबित हो गया है कि सरकार गरीबों के लिए कुछ नहीं कर रही है, बल्कि मात्र दिखावा करती है। देश की राजधानी में भूख से बच्चियों की मौत शर्मनाक है।