कल पड़ोस मे चीखें उठी तो मैं भी पहुँचा , देखा तो आवाज़े सूखी सूखी थी लहू आँख से छलक रहा था पगलाया एक बाप दौड़ दौड़ सब से कहता मेरी फूल सी गुड़िया रौंद दिया ज़ालिम ने माँ ढूँढ रही थी बेटी के बदन पे कुछ साँसें , काश कहीं कोई नस फिर धड़क […]
कल पड़ोस मे चीखें उठी तो मैं भी पहुँचा , देखा तो आवाज़े सूखी सूखी थी लहू आँख से छलक रहा था पगलाया एक बाप दौड़ दौड़ सब से कहता मेरी फूल सी गुड़िया रौंद दिया ज़ालिम ने माँ ढूँढ रही थी बेटी के बदन पे कुछ साँसें , काश कहीं कोई नस फिर धड़क […]