नज़रिया

मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, मैं वैसे भी मारा जाऊँगा”

21 मई, 1991 को शाम के आठ बजे थे. कांग्रेस की बुज़ुर्ग नेता मारगाथम चंद्रशेखर मद्रास के मीनाबक्कम हवाई अड्डे पर राजीव गांधी के आने का इंतज़ार कर रही थीं। थोड़ी देर पहले जब राजीव गांधी विशाखापट्टनम से मद्रास के लिए तैयार हो रहे थे तो पायलट कैप्टन चंदोक ने पाया कि विमान की संचार […]