द फ्रीडम बकरैती

चस्का नीली बत्ती का, काम पप्पू पंचर वाले

बेटवा ! जेतना मन हो उतनी मटरगश्ती करना , लेकिन माथे पर तुमको नीली बत्ती ठोकवा कर ही वापस आना है । ये बाते रामसुमेर ने सत्यप्रकाश को दिल्ली वाली टरेन मे बिठाते हुए कही । और हाँ उस रम्मू के बप्पा से भी तुम्हे ही बदला लेना है । ससुरे ने घुसलखाने वाली नाली […]