ख्वातीन-ओ-हजरात, परंपराओं के पिंजड़े में कैद आपकी रूह को मेरी ओर से सहानुभूति।आपने कभी सोचा कि आपके यहाँ से क्यों केवल मैकेनिक , ठेले वाले , जरीदार , टैक्सी ड्राइवर और राजमिस्त्री ही निकलते है? क्योंकि आपके यहाँ से इन्हीं लोगों के धंधों को धर्मपरस्त माना जाता है। आपके यहाँ से ग्रैंडमास्टर इसलिए नहीं निकलेगा […]