नज़रिया

राजकिशोर के जाने से बहुत कुछ चला गया – ओम थानवी

राजकिशोरजी नहीं रहे। हिंदी पत्रकारिता में विचार की जगह आज और छीज गई। कुछ रोज़ पहले ही उन्होंने अपना प्रतिभावान इकलौता बेटा खोया था। पिछले महीने जब मैं उनसे मिलने गया, वे पत्नी विमलाजी को ढाढ़स बँधा रहे थे। लेकिन लगता था ख़ुद भीतर से कम विचलित न रहे होंगे। मेरे आग्रह पर राजस्थान पत्रिका […]