नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अवैध निर्माण की सीलिंग पर सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में सबने कानून अपने हाथों में लिया है। दरअसल शीर्ष अदालत की पीठ ने दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके में सील एक मोटल के मालिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
कृपया कानून का पालन करें
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि क्यों कुछ लोगों को कहा जाए कि कृपया कानून का पालन करें। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उक्त इमारत का बेसमेंट अधिकारियों ने 14 सितंबर को सील कर दिया था और उसके बाद 20 सितंबर को छह एकड़ में फैले पूरे परिसर को सील कर दिया था। उन्होंने कहा कि शादी के सीजन के कारण याचिकाकर्ता ने पंडाल बनाया था, जिसे हटा लिया गया, लेकिन परिसर अब भी सील है, जबकि उन्होंने प्राधिकरण द्वारा कारण बताओ नोटिस का जवाब पहले ही दे दिया है।
आप लोगों को खतरे में क्यों डालना चाहते हैं
इस पर पीठ ने रोहतगी को कहा कि आपका मुवक्किल निश्चित रूप से पढ़ा-लिखा होगा और ऐसे लोगों को कानून का पालन करने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए। आप लोगों को खतरे में क्यों डालना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि आग लगने के खतरे का क्या। एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में करीब 51000 ऐसे घर हैं, जिनका व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
अमाइकस क्यूरी वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने पीठ को बताया कि मोटल ने 11 सितंबर को बेसमेंट के नियमितीकरण के लिए आवेदन दिया था। पीठ ने मोटल मालिक को अंतरिम राहत देते हुए परिसर को खोलने की इजाजत दे दी। हालांकि उसने स्पष्ट किया कि उसका बेसमेंट सील ही रहेगा और वहां कोई पंडाल नहीं बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी समिति को इस मामले में 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी।