नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो अहम फैसले किए। पहले फैसले में व्यभिचार से जुड़ी आईपीसी की 158 साल पुरानी धारा 497 को खत्म कर दिया। कहा- पत्नी, पति की संपत्ति नहीं है। विवाहेत्तर संबध (व्यभिचार) को अपराध बताने वाली आईपीसी की धारा 497 को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने टिप्पणी की – चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में व्यभिचार अपराध नहीं है। तो आइए जानते हैं किन देशो में व्यभिचार को अपराध नहीं माना जाता।
यूरोप के सभी देशों में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर
किसी पर पुरुष या पर स्त्री से सहमति से शारीरिक संबंध बनाना व्यभिचार है। यानी अपनी विवाहित पत्नी या पति के अलावा किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बनाना व्यभिचार है। इन देशों में अपराध नहीं दुनिया में तमाम देश ऐसे हैं जहां विवाहेत्तर संबंध यानी व्यभिचार को अपराध नहीं माना जाता। यूरोप के सभी देशों में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है। हालांकि इन देशों में व्यभिचार को अभी भी तलाक का आधार माना गया है। दुनिया के जिन देशों में एडल्ट्री को अपराध नहीं माना जाता उनमें जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय देश हैं। लेकिन अमेरिका के बहुत से राज्यों में व्यभिचार को गैरकानूनी माना गया है। कुछ देश ऐसे भी हैं जहां व्यभिचार को लेकर मुश्किल से सुनवाई होती है और वह भी जुर्माना लगा कर बरी कर दिया जाता है। ऐसे देशों में इदाहो, मैसेचुसेट्स और मिशीगन प्रमुख हैं।
2015 में दक्षिण कोरिया ने समाप्त किया व्यभिचार का कानून
दक्षिण कोरिया के 1953 के कानून के अनुसार व्यभिचार करने वाले जीवन साथी को अधिकतम दो साल तक की जेल का प्रावधान था। लेकिन फरवरी 2015 में दक्षिण कोरिया की उच्चतम अदालत ने व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। दक्षिण कोरिया पहला ऐसा एशियाई देश है जहां व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार एशियाई देशों मे 2008 से 2015 के बीच व्यभिचार के अपराध में करीब 5500 लोगों को सजा मिल चुकी है।
इन देशों में है कठोरतम सजा
जिन देशों में इस्लामिक कानून शरिया लागू है वहां व्यभिचार को लेकर सबसे सख्त सजा का प्रावधान है। व्यभिचार पर सबसे सख्स सजा वाले देशों में पाकिस्तान, सऊदी अरब और सोमालिया हैं। यहां एडल्ट्री के दोषी को जेल, जुर्माना, कोड़े मारना और कुछ मामलों में पत्थर मारकर जान से मारने की सजा का प्रावधान है।