सलोन, रायबरेली : नैनिहाल ही हमारे देश के भविष्य बनेंगे, यह बात हम सुनते जानते रहते हैं लेकिन जब उन्हीं नैनिहालों से पढ़ाई के पहले लकड़ी ढुलाई जाये तो क्या होगा। जी हां सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की तमाम कवायद हो रही है। लेकिन, व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जिन बच्चों को स्कूल टाइम में किताबों के साथ होना चाहिए, वे मिड डे मील पकाने के लिए लकड़ी का इंतजाम करने में जुट जाते हैं। आदेश मास्साब का है तो न करने की हिम्मत भी नहीं पड़ती।
आरा मशीन से लकड़ियां ढोनी पड़ीं
बात हो रही है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय बघौला की है। यहां पर मंगलवार को प्रधानाध्यापक के निर्देश पर बच्चों को खाना पकाने के लिये समीप के आरा मशीन से लकड़ियां ढोनी पड़ीं। सलोन विकास क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों की यह करतूत कोई नई नहीं है। यहां के विद्यालयों में बच्चों के लिए विद्यालय में झाड़ू लगाना, लकड़ी ढोना, गुरु जी के निर्देश पर अन्य कार्य करना शिक्षण कार्य में शामिल है। मंगलवार को विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजय जायसवाल ने विद्यालय के कुछ बच्चों को शिक्षण कार्य के बीच उन्हें लकड़ी लाने के निर्देश दे दिए। इसके बाद बच्चे शिक्षण कार्य छोड़कर समीप की आरा मशीन पर लकड़ी लाने चले गए।
जांच कर कार्रवाई की जाएगी
इस मामले की जानकारी अभिभावकों को होने पर उन्होंने विद्यालय की व्यवस्था पर आक्रोश व्यक्त किया। इस संबंध में प्रधानाध्यापक संजय जायसवाल ने बताया की एमडीएम बनाने की जिम्मेदारी हमारे पास थी और लकड़ी खत्म हो गई थी। इसलिए छात्रों से मंगाना पड़ा। बीईओ विश्वनाथ प्रजापति ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।