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समाजवादी पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है- शिवपाल

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराजगी के बाद वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल यादव ने 2019 में यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। राजनीतिक हलकों में शिवपाल की बीजेपी से डील की चर्चा चल रही है। यूपी की जंग इन चुनावों के नजरिये से काफी अहम् मानी जा रही है।  हालांकि सपा सरकार में मंत्री रहे और फिलहाल इटावा के जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की घोषणा कर महागठबंधन के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं हैं।

लाखों समाजवादी साथियों की उपेक्षा हो रही

शिवपाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जो क़दम मैंने आगे बढ़ा लिया है, वो बढ़ गया है। आज तक मैंने जो भी काम किया है वो डंके की चोट पर किया है। आज तक मेरी पक्षधरता या समर्पण असंदिग्ध और स्पष्ट रही है। मैंने 30 साल तक लगातार संघर्ष किया है। खून पसीने से समाजवादी पार्टी बनाई है। लेकिन वहां मेरी, नेता जी और लाखों समाजवादी साथियों की उपेक्षा हो रही थी।

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कोई मीटिंग नहीं

बीजेपी में जाने के सवाल पर कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कोई मीटिंग नहीं हुई है। दूसरी बात कि सभी जानते हैं कि राज्य में मेरे पास व्यापक जनाधार है, जाहिर है लोकतंत्र में ऐसे किसी भी व्यक्ति के पास राजनीतिक प्रस्ताव आते रहते हैं। हालांकि हम सेक्युलर ताकतों के साथ हैं, विकास के सही मायनों के साथ हैं। मैं भविष्य में भी कम्युनल ताकतों के साथ कोई समझौता नहीं करूंगा।

हमारा लोकतंत्र बहुत खूबसूरत

शिवपाल ने कहा कि देखिए, हमारा लोकतंत्र बहुत खूबसूरत है और इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने बहुदलीय व्यवस्था को अपनाया। ऐसा इसलिए भी हुआ कि विविधताओं वाले इस देश में हर रंग को सम्मान मिल सके। हाशिए पर पड़े समुदाय को भी राजनीतिक हिस्सेदारी मिल सकें। जाहिर है कि हम सभी के अपने राजनीतिक निहितार्थ होते हैं। हम सामाजिक न्याय को वर्तमान संदर्भ में नए आयाम देंगे और सभी छोटे दलों को साथ जोड़ेंगेष हमारी लड़ाई को किसी गठबंधन विशेष के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। क्या आप चाहते हैं कि भारत में सिर्फ दो ही दल बचे रह जाएं।

समाजवादी पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी

अखिलेश और रामगोपाल जी साथ दिखने के सवाल पर कहा कि देखिए समाजवादी पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है। बेईमानी और भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा और राज्य में लगातार किसानों की उपेक्षा हो रही है। गरीबी बढ़ती जा रही है और देश में केवल 10-15 फ़ीसदी लोगों को ही लाभ मिल पाता है। सपा ने राज्य में स्थिति बिगडऩे के बावजूद भी इन मुद्दों पर कोई प्रदर्शन भी नहीं किया। इन वजहों से मुझे ये फ़ैसला लेना पड़ा। हम रहना चाहते थे पार्टी में लेकिन बहुत से लोगों को सम्मान नहीं मिल रहा था, उनकी उपेक्षा हो रही थी।

प्रयास भी किया कि पार्टी में सब एक साथ रहें

इंतज़ार भी किया, प्रयास भी किया कि पार्टी में सब एक साथ रहें। नई पार्टी नेताजी बनाने में नेता जी का आशीर्वाद मुझे प्राप्त है। ऐसा लग रहा है अखिलेश आपकी पार्टी की घोषणा को सीरियसली नहीं ले रहे हैं ? कल एक टीवी कार्यक्रम में भी इसी से जुड़े एक सवाल को उन्होंने हँसी में उड़ा दिया ? मैं राजनीतिक रूप से इतना परिपक्व हूं कि मुझे इसपर कुछ नहीं कहना चाहिए। इसका जवाब आने वाला वक़्त ही देगा। अखिलेश समझौता करके अब कदम पीछे खींचने का सवाल ही नहीं है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।

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