शिवसेना का नाम और निशान मिलने के बाद मंगलवार को शिवसेना (शिंदे गुट) कार्यकारिणी की पहली बैठक हुई। बैठक में एकनाथ शिंदे को शिवसेना का मुख्य नेता चुना गया। उन्हें पार्टी से जुड़े अहम फैसले लेने के अधिकार होंगे। हालांकि उन्हें शिवसेना प्रमुख नहीं कहा गया है। इसके क्या मायने है, यह अभी पार्टी की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया है
बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज फिर कहा कि हमें कोई संपत्ति नहीं चाहिए और हम कोई दावा नहीं करने वाले हैं। बैठक के बाद उद्योग मंत्री उदय सामंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी है।
बैठक में ये प्रस्ताव पास हुए…
- वीर सावरकर को भारत रत्न दिया जाए।
- मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिले।
- स्थानीय भूमिपुत्रों को नौकरी में 80% स्थान दिया जाए।
- चर्चगेट रेलवे स्टेशन को चिंतामन राव देशमुख का नाम दिया जाए।
- पार्टी के खिलाफ काम करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने 3 सदस्यीय समिति बनेगी। दादा भूसे समिति के अध्यक्ष होंगे।
- MPSC और UPSC परीक्षा के लिए मराठी छात्रों को कोचिंग देगी सरकार।
बुधवार को उद्धव की याचिका पर SC में सुनवाई
उधर, शिवसेना का नाम और निशान छीने जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई नहीं हुई। इस पर उद्धव के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने को कहा। उन्होंने दलील दी कि उद्धव गुट के असेंबली ऑफिस पर पहले ही कब्जा किया जा चुका है। अगर कोर्ट से स्टे नहीं मिला, तो शिंदे गुट ऑफिस और बैंक अकाउंट भी छीन लेगा।
चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अदालत ने उन्हें मंगलवार को याचिका दाखिल करने को कहा। मंगलवार को जब उद्धव के वकील सिब्बल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने कहा- बुधवार को संविधान पीठ में एक मामले की सुनवाई खत्म होने के बाद यह मामला सुनेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट बुधवार को दोपहर साढ़े तीन बजे इस केस की सुनवाई करेगा।
वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा के बाद अब संसद का शिवसेना दफ्तर भी शिंदे गुट को दे दिया गया है। लोकसभा सचिव ने पत्र के जरिए इसकी जानकारी दी। इससे पहले शिंदे गुट ने मंगलवार को महाराष्ट्र असेंबली में बने शिवसेना के ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया था।
संजय राउत बोले- अब सुप्रीम कोर्ट पर ही भरोसा
चुनाव आयोग से शिवसेना का नाम और निशान छीने जाने के फैसले पर उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि इस देश में सभी संस्थाएं खत्म हो गई हैं। लोकतंत्र की हत्या हो गई है, तो अब एक ही आशा बची है- सर्वोच्च न्यायालय। हम वहां जाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।
उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।
उद्धव की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं
उद्धव ठाकरे की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले पार्टी का नाम और निशान गया, फिर विधानभवन में पार्टी का ऑफिस भी चला गया। अब BMC हेडक्वार्टर पर शिंदे गुट की नजर है। वहीं, शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असैंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया।
मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।
ठाकरे गुट का दावा- नाम खरीदने 2000 करोड़ में सौदा
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान को खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। राउत ने रविवार काे सोशल मीडिया में लिखा था कि 2000 करोड़ रुपए एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है।
राउत ने था कहा कि सत्तारुढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी साझा की है। इसका खुलासा वे जल्द करेंगे। वहीं, राउत के इस बयान पर CM एकनाथ शिंदे के विधायक सदा सर्वंकर ने पूछा कि क्या उस डील के कैशियर संजय राउत हैं? इस मामले में नासिक में संजय राउत के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।