इलाहाबाद: इलाहाबाद में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी ने मोदी की तारीफ़ करते हुए गठबंधन पर निशाना साधा। जोशी ने कहा कि एक के बाद एक मोदी के करिश्माई नेतृत्व में पार्टी की जीत से हताश हुआ समस्त विपक्ष महागठबंधन बनाने पर मजबूर हो गया है। लेकिन इनमें भी अधिकांश का विचार भिन्न है जो महागठबंधन के सफल होने पर संदेह पैदा करता है और 2019 पर इनका कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही उन्होंने मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी होने वाले विधानसभा चुनाव में भी जीत का भी दावा किया ।
एक तरफ तो लोग मोदी को जोशी का धुर-विरोधी बताते है और राजनीति के जिस हाशिए पर जो आज जोशी खड़े है उसके पीछे पीएम मोदी की ही ज़िम्मेदार बताया जाता है। लेकिन जोशी ने कभी भी इसको लेकर मोदी के ख़िलाफ़ कोई टिप्पणी नहीं की है न ही ज़िम्मेदार बताया है। बल्कि उन्होंने तो समय-समय पर पीएम मोदी की तारीफ़ ही की है जैसे कि इस प्रोग्राम में की। कहा तो ये भी जाता है कि बड़े विवाद से बरी होने के बाद नितिन गडकरी के राष्ट्रीय अध्यक्षी के कार्यकाल में जब जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली तो 2012 में जोशी के इस्तीफे के पीछे मोदी को ही कारण बताया गया। क्योंकि मोदी इनके रहते राष्ट्रीय नेतृत्व की कमान संभालने को राज़ी नहीं थे।
लेकिन बेहद ही संयमित, मृदुभाषी जोशी भी तारीफ़ के काबिल है जो कि राजनीति में शिष्टाचार को निभा रहे हैं जो कि आज एक तरीके से लुप्त सा हो गया है। किसी भी विवाद में अपने को घसीटने और दोषारोपण के बजाए अपने काम में लगे हुए हैं देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों में लगातार सक्रिय हैं।
एक तरफ़ तो लगातार उपचुनावों में हार और इसी के साथ विपक्षी एकजुटता,खुद के गठबंधन के साथी भी मोदी का साथ छोड़ गए हैं और कई छोड़ने को हैं। साथ ही अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कई प्रतिनिधियों के मोदी और उनकी नीति निशाने हैं। इस चुनौती भरे समय में भी लगातार मोदी को संजय जोशी का साथ मिल रहा है। जोशी जो की कुशल संगठक माने जाते हैं। सबसे कम उम्र में अटल की सरकार के समय राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के रूप में जब इन्होंने ज़िम्मेदारी संभाली थी तो तब इनको नौ राज्यों का ज़िम्मा भी सौंपा गया था। तब इनके नेतृत्व नौ के नौ राज्यों में पार्टी की सरकार बनी थी जो अपने आप में रिकार्ड है। आज भी देशभर के कार्यकर्ता लगातार इनसे संपर्क बनाए हुए है तो ऐसे पुराने कुशल संगठक को मोदी कोई ज़िम्मेदार सौंपेंगे ये तो आने वाला समय ही बताएगा।