नई दिल्ली : ICICI की चंदा कोचर के लिए मुश्किल हालात दिखने शुरू हो गये हैं। वीडियोकॉन लोन मामले में आइसीआइसीआइ बैंक का जो बोर्ड अब तक एमडी व सीईओ चंदा कोचर के साथ मजबूती से खड़ा दिख रहा था, उसने अब दूरी बनानी शुरू कर दी है। सोमवार को निजी क्षेत्र के सबसे बड़े कर्जदाता आइसीआइसीआइ बैंक ने बोर्ड की बैठक के बाद मामले में आंतरिक जांच पूरी होने तक कोचर के छुट्टी पर रहने की घोषणा की। हालांकि, चंदा कोचर फिलहाल आइसीआइसीआइ बैंक की एमडी और सीईओ बनी रहेंगी।
इसके साथ ही बैंक ने उनके स्थान पर संदीप बख्शी को मंगलवार से अगले पांच वर्षो के लिए बैंक के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) के रूप में अंतरिम प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी है। उनकी नियुक्ति को नियामकीय मंजूरियों की दरकार होगी। जांच पूरी होने और कोचर की वापसी तक बख्शी बैंक के बोर्ड को रिपोर्ट करेंगे।
बख्शी इससे पहले आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ के एमडी और सीईओ थे। संदीप के सीओओ बनने के बाद आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ के एमडी और सीईओ पद पर एन एस कन्नन को नियुक्त किया गया है। कन्नन, आइसीआइसीआइ बैंक में सीएफओ थे।
यह हैं आरोप
बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चंदा कोचर ने जांच पूरी होने तक छुट्टी पर जाने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि आइसीआइसीआइ बैंक और चंदा कोचर को वीडियोकॉन समूह को दिए गए एक कर्ज को लेकर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस मामले में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के शामिल होने की बात सामने आने के बाद से मामले ने तूल पकड़ा। आरोप है कि वीडियोकॉन समूह ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स में पैसा लगाया था। न्यूपावर को मॉरीशस की कंपनी फर्स्ट लैंड होल्डिंग्स से भी निवेश मिला था।
यह कंपनी एस्सार समूह के सह संस्थापक रवि रुइया के दामाद निशांत कनोडिया की है। शुरुआत में चंदा कोचर के साथ दृढ़ता से खड़े रहने वाले आइसीआइसीआइ बैंक के निदेशक बोर्ड ने भी हाल में मामले की आंतरिक स्तर पर जांच करने की बात कही है।
रिजर्व बैंक और कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय भी इसकी जांच कर रहे हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने दीपक कोचर और अन्य के खिलाफ मामला भी दर्ज किया है। भारतीय जांच एजेंसियां इस संबंध में मॉरीशस समेत अन्य देशों की जांच एजेंसियों से मदद लेने की भी तैयारी कर रही हैं।