नई दिल्ली: लखनऊ में एप्पल कंपनी के अधिकारी विवेक तिवारी की हत्या के मामले में इकलौती चश्मदीद सना ने दिल दहलाने वाला खुलासा किया है। टीओआई से खास बातचीत में सना ने बताया कि सर (विवेक तिवारी) को गोली लगी हुई थी, बावजूद इसके वो मुझे बचाने की कोशिश करते रहे। सना ने बताया कि जितनी जान बची थी उनमें, उतने में वो गाड़ी आगे बढ़ाते रहे, हालांकि कुछ दूर जाने के बाद ही उनकी गाड़ी एक खंभे से टकरा गई। तुरंत ही वो सीट पर पीछे की ओर गिर गए और उनका सिर एक ओर झुक गया। हालांकि इस दौरान भी उनकी सांस चल रही थी।
पुलिस थ्योरी पर उठाए सवाल
चश्मदीद सना ने पुलिस थ्योरी पर उठाए सवाल, बताई बड़ी बात टीओआई से बातचीत में चश्मदीद सना ने पुलिस की उस थ्योरी और मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें कहा जा रहा है कि गाड़ी खड़ी थी और आरोपी कॉन्स्टेबल ने डिवाइडर पर चढ़कर उसे गोली चलाई। सना ने बताया कि गाड़ी रूकी हुई नहीं थी, ये सामान्य स्पीड से सड़क के बीच में नहीं बल्कि थोड़ा सा बाईं ओर चल रही थी। इस दौरान सर ने ऐसा कुछ भी नहीं किया था जिससे कॉन्स्टेबल को उन पर गोली चलाने की जरूरत पड़े।
सना उसी गाड़ी में मौजूद थी
‘पूरे घटनाक्रम से मैं बुरी तरह डर गई थी और चिल्ला रही थी’ सना बताती हैं कि उस रात की घटना को याद करके वो बुरी तरह से सिहर उठती हैं। टीओआई से उन्होंने बताया, “मैं आंखें बंद भी करती हूं तो पूरा सीन मेरे सामने आ जाता है। चार दिन से मैं न सोई हूं और ना कुछ खाया है। बता दें कि सना, विवेक तिवारी की सहकर्मी थी। शुक्रवार को लखनऊ के गोमतीनगर में जिस समय विवेक तिवारी को पुलिस कॉन्स्टेबल ने गोली मारी उस समय सना उसी गाड़ी में मौजूद थी जिसे विवेक तिवारी चला रहे थे।
वो हमें रोकने चाहते थे और गाड़ी से नीचे उतारना चाहते थे
‘जितनी जान बची थी उसमें भी सर गाड़ी आगे बढ़ा रहे थे’ सना ने बताया, “हम अशोक मार्ग पर श्रीराम टॉवर्स में आयोजित फोन लॉन्च कार्यक्रम से लौट रहे थे। जैसे ही हमारी गाड़ी गोमती नगर एक्सटेंशन में सरयू अपार्टमेंट के पास पहुंची बाइक पर सवार दो पुलिस कॉन्स्टेबल कार के आगे आ गए। उन्होंने आगे बताया कि कॉन्स्टेबल के हाथ में लाठी थी, वो हमें रोकने चाहते थे और गाड़ी से नीचे उतारना चाहते थे। हालांकि रात बहुत हो गई थी तो सर (विवेक तिवारी) ने महिला के तौर पर मेरी सुरक्षा के लिए गाड़ी नहीं रोकी और धीरे-धीरे आगे बढ़ाते रहे। पुलिस कॉन्स्टेबल हम पर चिल्ला रहे थे, हमने उनसे कुछ भी नहीं कहा और न कोई विवाद ही हुआ।
डॉक्टरों ने जांच की और बताया कि विवेक जिंदा हैं
जब विवेक तिवारी आरएमएल अस्पताल लाया तो उनकी सांस चल रही थी’ सना ने आगे बताया कि जब विवेक तिवारी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल लाया गया तो उनकी सांस चल रही थी। डॉक्टरों ने जांच की और बताया कि विवेक जिंदा हैं और उन्हें तुरंत ही पीजीआई रेफर कर दिया गया। सना ने बताया कि मैं लगातार पुलिस से कह रही थी कि मुझे घर ले चलें, जिससे की मैं अपने सहकर्मियों को फोन करके मदद मांग सकूं। अस्पताल से मुझे कैसरबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां 5 मिनट इंतजार के बाद महिला कॉन्स्टेबल हमारे साथ आ गई। इसके बाद हमें गोमती नगर थाने ले जाया गया।