इंटरनेशनल डेस्क: कोरोना संक्रमण के खिलाफ ‘स्पूतनिक वी’ टीके को वैज्ञानिकों ने कारगर पाया है। रूस ने इस वैक्सीन को पिछले महीने मंजूरी दी थी। लैंसेट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित हुई रिपोर्ट के मुताबिक, मानव परीक्षणों में जिन लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी उनमें पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हुई और कोई गंभीर दुष्परिणाम भी नजर नहीं आया। प्रारंभिक चरण के दौरान 76 लोगों को दी गई वैक्सीन के नतीजों में 21 दिनों के भीतर सभी प्रतिभागियों में एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं (T cell response) देखी गईं। 42 दिनों तक चले दो चरणों के नतीजों से यह निष्कर्ष निकाला गया है।
पहला चरण जिसे फ्रोजेन फॉर्मूलेशन नाम दिया गया है, उसमें टीकों के लिए मौजूदा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की परिकल्पना की गई। दूसरे चरण का नाम फ्रीज-ड्राइड फॉर्मूलेशन दिया गया है जिसमें टीके के रख रखाव और दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाने के बारे में अध्ययन किया गया। पाया गया कि इस टीके को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जा सकता है। बता दें कि स्पूतनिक वी का विकास गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने मिलकर किया है।
वैक्सीन में ह्यूमन एडेनो वायरस 26 (rAd26-S) और ह्यूमन एडेनोवायरस टाइप 5 (rAd5-S) शामिल हैं। एडेनो वायरस सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं। इन टीकों का काम प्रतिरक्षा प्रणाली के दोनों हथियारों एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रियाओं को सक्रिय करना है। यह वैक्सीन इसी तरीके से कोरोना वायरस के संक्रमण को विफल करती है। यह वैक्सीन सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) द्वारा संक्रमित कोशिकाओं पर भी करती है।
रूस के गेमालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के अध्ययन में कहा गया है कि जब यह वैक्सीन शरीर में दाखिल होती है तो स्पाइक प्रोटीन जेनेटिक कोड डिलिवर करती है। स्पाइक प्रोटीन जेनेटिक कोड ही SARS-CoV-2 वायरस को पहचानने और हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करने में मदद करता है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, इस वैक्सीन का ट्रायल रूस के दो अस्पतालों में किया गया। इन परीक्षणों में 18 से 60 साल की उम्र के स्वस्थ्य वयस्क भी शामिल थे।
रूसी डाइरेक्ट इवेस्टमेंट फंड के सीईओ किरिल दिमित्रिव (Kirill Dmitriev) ने बताया कि दुनिया के सभी टीकों का लगभग 60 फीसद उत्पादन भारत में किया जा रहा है। हम भारतीय सरकार से इस टीके के स्थानीय प्रोडक्शन पर लगातार बातचीत कर रहे हैं। हम न केवल भारतीय बाजारों में बल्कि अन्य देशों के लिए भी वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत की क्षमता को पहचानते हैं। हमने इस बारे में प्रमुख कंपनियों के साथ कुछ समझौते भी किए हैं।
यरूशलम से मिली जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा साझे में विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट को जानवर पर प्रभावी पाया गया है। जॉनसन एंड जॉनसन इजरायल की एक कंपनी के साथ मिलकर यह वैक्सीन तैयार कर रही है। गोल्डेन हैम्स्टर पर किए गए परीक्षण में पाया गया है कि वैक्सीन निष्क्रिय एंटीबॉडी को सक्रिय कर प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाती है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि वैक्सीन की खुराक लेने वाले हैम्स्टर पर कोरोना वायरस का असर नहीं हुआ।