उत्तर प्रदेश

बुलंदशहर हिंसा पर पूर्व IAS ऑफिसर्स ने मांगा सीएम योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा

लखनऊ: बुलंदशहर हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के विरोध के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ रिटायर्ड ऑफिसर्स के भी रडार पर हैं। करीब तीन दर्जन सेवानिवृत आइएएस ऑफीसर्स ने बुलंदशहर हिंसा को प्रदेश सरकार की नाकामी बताया है। इसी आधार पर इन ऑफिसर्स ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है।

मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया

बुलंदशहर हिंसा से खफा पूर्व दिग्गज आइएएस ऑफिसर्स ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगा है। इन सभी ऑफीसर्स का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया था। इन सभी पूर्व नौकरशाहों ने योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है। रिटायर्ड नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है।

पूर्व अफसरों ने लिखा खुला पत्र

बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है। पूर्व अफसरों ने खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने राज्य में इस घटना से पहले और बाद में उत्पन्न तनाव को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ पुजारी की तरह काम कर रहे हैं।

इस पत्र में लिखा है कि 3 दिसंबर 2018 को हुई हिंसक घटना के दौरान पुलिस अधिकारी की हत्या राजनीतिक द्वेष की दिशा में अब तक का एक बेहद खतरनाक संकेत है। इससे पता चलता है कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति व मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस नहस हो चुके हैं।

उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा

पत्र में लिख है कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए ऐसे हालात पहली बार उत्पन्न नहीं किए गए हैं। उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भीड़ ने एक पुलिसकर्मी की हत्या की और न ही यह गौरक्षा के नाम पर राजनीति के तहत मुसलमानों को अलग-थलग कर सामाजिक विभाजन पैदा करने का पहला मामला है। पूर्व अधिकारियों के समूह ने पत्र में लिखा कि यह एक गंभीर स्थिति है जिसे और सहन नहीं किया जा सकता। सभी नागरिकों को नफरत की राजनीति और विभाजन के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस घटना का संज्ञान लेते हुए न्यायिक जांच का अनुरोध भी किया गया है। इन सबके साथ ही मुसलमान, महिला, आदिवासियों तथा दलितों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिये जन-आंदोलन चलाने की भी अपील की गई है।

पहले भी कई मसलों पर लिखा है खुला खत

पूर्व नौकरशाहों का पत्र तब सामने आया है जब बुलंदशहर हिंसा की जांच एसआइटी ने पूरी कर ली है। इस जांच में सामने आया है कि हिंसा से पहले गोकशी हुई थी। इस आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वालों में पूर्व अफसर बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े अफसर शामिल हैं। इन सभी अफसरों ने आरोप लगाया कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले भी कई मसलों पर खुला खत लिखा है।

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