भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पुलिस थिंक टैंक, ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने वर्ष 2018 में शिक्षाविदों और कानूनी विशेषज्ञों से अनुसंधान प्रस्तावों को आमंत्रित किया था। गृह मंत्रालय को 75 प्रस्ताव मिले थे जिनमें से गृह मंत्रालय ने दो विषयों “भारत में कट्टरता की स्थिति का मानकीकरण: रोकथाम और उपचार के अन्वेषणात्मक अध्ययन” और “कैदियों के पुनर्वास के लिए खुली जेलों के कामकाज और प्रभाव” को चयनित किया गया था। अब गृह मंत्रालय ने पहली बार, “भारत में कट्टरता की स्थिति” पर एक शोध अध्ययन को मंजूरी दी है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड विक्टिमोलॉजी के निदेशक जी.एस. बाजपेयी के नेतृत्व में यह शोध अध्ययन किया जाना है। प्रस्तावित अध्ययन कानूनी रूप से “कट्टरता” को परिभाषित करने और गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) में संशोधन का सुझाव देगा। यह अध्ययन धर्म-तटस्थ होगा और तथ्यों और रिपोर्ट किए गए मामलों के आधार पर किया जाएगा। कट्टरता को अभी तक कानूनी रूप से परिभाषित किया जाना बाकी है, इससे पुलिस का दुरुपयोग होता है। इस शोध अध्ययन के द्वारा इसे परिभाषित करने का कार्य भी किया जाएगा और यह UAPA के लिए आवश्यक संशोधन के लिए सुझाव भी प्रस्तुत करेगा।