अंकारा : तुर्की के राष्ट्रपति चुनावों में राष्ट्रपति रेचेप तईप एर्दोआन ने जीत हासिल कर ली है। मतगणना को लेकर विपक्ष शिकायत कर रहा है लेकिन इसके साथ ही सत्ता पर एर्दोआन की पकड़ मजबूत हो गई है। गौरतलब है कि 15 साल से वह ही सत्ता पर काबिज हैं। तुर्की के मतदाताओं ने पहली बार राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव में मतदान किया है।
एर्दोआन अपनी सत्तारूढ़ जस्टिस ऐंड डिवलेपमेंट पार्टी के लिए पूर्ण बहुमत की उम्मीए लगाए बैठे थे। अप्रैल 2017 में हुए जनमत संग्रह में नए संविधान पर सहमति बनी थी। इसके तहत एर्दोआन ऐसे पहले राष्ट्रपति होंगे जो बिना किसी प्रधानमंत्री के अत्यधिक अधिकार रखेंगे। इसका एर्दोआन ने मजबूती से समर्थन किया था लेकिन विरोधियों का कहना है कि इससे राष्ट्रपति को निरंकुश शक्तियां मिलेंगी।
शीर्ष चुनाव समितिउन्होंने कहा कि नई राष्ट्रपति प्रणाली को तेजी से लागू किया जाएगा। उन्होंने 88 फीसदी मतदान की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘तुर्की ने पूरी दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया है।’ सरकारी समाचार एजेंसी ‘अनाडोलू’ की रिपोर्ट के अनुसार 99 प्रतिशत वोटों की गिनती के आधार पर एर्दोआन को राष्ट्रपति चुनावों में 52.5 प्रतिशत मत मिले हैं। वहीं धर्म निरपेक्ष ‘रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी’ (सीएचपी) के उनके प्रतिद्वंद्वी मुहर्रम इन्स को 31.7 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं।
(वायएसके) के प्रमुख सैदी गुवेन ने बताया कि एर्दोआन ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी मुहर्रम इन्स को पूर्ण बहुमत से हराया। पहले ही चरण में उन्हें आधे से अधिक मत मिल चुके थे जिसके चलते दूसरे चरण की जरूरत ही नहीं पड़ी। इस्तांबुल के अपने आवास से विजयी संदेश में एर्दोआन ने कहा, ‘मुझ पर देश ने भरोसा जताते हुए राष्ट्रपति पद का कार्य और कर्तव्य सौंपे हैं।’