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रेलवे की परीक्षा से पहले सेंटर तक पंहुचने की परीक्षा, आठ लाख छात्रों के परीक्षा केंद्र पाँच सौ किमी से दूर

रेलवे ख़ुद मानती है कि आठ लाख छात्रों के परीक्षा केंद्र पाँच सौ किमी से दूर हैं। यह नहीं बताती कि पाँच सौ से पंद्रह सौ या दो हज़ार किमी दूर हैं लेकिन प्रेस विज्ञप्ति में पाँच सौ से ज़्यादा दूर लिख देने से दो हज़ार किमी की दूरी वाला भाव चला जाता है। जो रेल का परीक्षा से नहीं जुड़े हैं उन्हें झाँसा तो मिल जाता है मगर जो परीक्षा दे रहे हैं उन्हें सच्चाई पता है। यह कहा गया है कि जिनके केंद्र दूर हैं उन्हें बेहतर यातायात की सुविधा वाले शहरों में भेजा जा रहा है। बिहार के सिवान और छपरा से तिरुपति जाना कैसे सरल है और बेहतर यातायात से जुड़ा है, रेल अधिकारी ही बता सकते हैं। सीवान से तिरुपति जाने वाला छात्र आठ घंटे की यात्रा तय कर पटना पहुँचेगा। वहाँ से आठ घंटे लगातार कोलकाता और अगली ट्रन के लिए सात आठ घंटे इंतज़ार करेगा। फिर कोलकात से 21 घंटे की यात्रा पर निकलेगा तिरुपति के लिए। इस बीच अगर ट्रेनें लेट होती चली गई तो उसकी साँस अटक जाएगी। इस तरह वह 21 अगस्त की परीक्षा के लिए 18 अगस्त को सीवान से निकलेगा और 20 अगस्त की रात तिरुपति पहुँचेगा। इसी तरह गोरखपुर वाला मुंबई जाएगा और बेंगलुरु वाला भोपाल आएगा। सीकर वाला अमृतसर जाएगा।

ट्रेन में टिकट नहीं है। टिकट के लिए पैसे का दबाव है। रेलवे को सब नहीं देखता है उसे सब कुछ प्रतिशत में दिखता है इसलिए रेलवे ने बताया कि सिर्फ़ 17% लोगों के ही सेंटर 5 सौ किलोमीटर से दूर दिए जा रहे मगर रेलवे ने ये नहीं बताया कि 17 प्रतिशत का मतलब आठ लाख है । आठ लाखछात्रों को पाँच सौ किलोमीटर से लेकर दो हज़ार किलोमीटर दूरी के सेंटर देने का क्या तुक है ? क्या उनके लिए दो चार पाँच दिन अतिरिक्त रूप से परीक्षा नहीं हो सकती थी ? यह दलील भी विचित्र है कि जिन्होने देरी से फ़ॉर्म भरे हैं, उन्हीं का सेंटर दूर है। वैसे तो मुझे कई छात्रों ने बताया कि उन्होने शुरू में फ़ॉर्म भरा था मगर उनका सेंटर भी बहुत दूर है । क्या रेलवे ने छात्रों को बताया था की देरी से भरने का क्या मतलब है ? उन्हें फ़ॉर्म पहले दो दिन में ही भर देने चाहिए वरना उनका सेंटर बहुत दूर पड़ सकता था ? 2 साल से रेलवे इस बात का प्रचार कर रहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन परीक्षा होने जा रही है और जब परीक्षा होने जा रही है तब उसकी ये हालत है कि रेलवे के पास परीक्षा आयोजित कराने के केंद्र नहीं है ।

क्या ये केन्द्र बेंगलुरू में भी नहीं है वहाँ के छात्र को चंडीगढ़ और भोपाल भेजा जा रहा है। मैं नीचे कुछ छात्रों के मैसेज की कॉपी पोस्ट कर रहा हूँ । आप देखिए कि वे किस मानसिक स्थिति से गुज़र रहे हैं । आख़िर 47,56,000 में से 8, लाख को दूर भेजने का क्या मतलब है ? रेलवे ने ये बँटवारा क्यों किया ? क्या इसलिए कि बहुत से छात्र ग़रीबी के कारण दूर के सेंटर पर न जा सकें ?

एक समस्या और है । दूर सेंटर के कारण जो आस पास की दूसरी परीक्षाएं है, यूनिवर्सिटी और नौकरी की, उससे छात्र वंचित हो सकते हैं। मुझे कई छात्रों ने इस बारे में भी लिखा है कि उनकी दूसरी परीक्षाएं छूट जा रही है । इससे उनके अवसरों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है ।

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