नज़रिया

कच्चे तेल की क़ीमत कम होने पर भी पेट्रोल की बढ़ती क़ीमत पर वरिष्ठ पत्रकार के सवाल

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने लगी है। पिछले पांच दिनों में 5 डॉलर प्रति बैरल घटा है मगर भारत में आज 15 वें दिन भी पेट्रोल और डीज़ल महंगा हुआ है। दिल्ली में पेट्रोल 78.27 रुपये प्रति लीटर है और मुंबई 86.08 रुपये प्रति लीटर है। भारत के सरकारी अर्थशास्त्री ही इसके बारे में ज़्यादा बता सकते हैं।

एयरइंडिया की ख़रीदारी के लिए दिलचस्पी दिखाने वाले ख़रीदार नहीं मिल रहे हैं। अपनी रुचि ज़ाहिर करने के चार दिन रह गए हैं मगर अभी तक कोई बाहरी ख़रीदार नहीं आया है। भारत सरकार ने इसके लिए एक अर्नेस्ट एंड यंग नाम की संस्था की सेवा ली है। इस संस्था ने कई विमान कंपनियों के सामने प्रस्ताव रखा है, समझाया है मगर अभी तक कोई सामने नहीं आया है। मुमिकन है सरकार इसकी तारीख आगे बढ़ा दे। बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर है।

तूतिकोरिन में जिस वेदांता कंपनी पर ताम्रवर्णी नदी के पानी और हवा को प्रदूषित करने का आरोप है, उसी को गंगा की सफाई का काम दिया गया है। नितिन गडकरी ने कहा है कि 2019 तक 70 फीसदी गंगा का पानी साफ हो जाएगा। अभी तक तो कुछ हुआ नहीं, सात आठ महीना और देख लेते हैं। वाराणसी में गंगा को करीब से जानने वाले लोग जिनमें महंत भी शामिल हैं, बता रहे हैं कि गंगा का हाल और बुरा ही हुआ है।

2014-16 के दौरान बांग्लादेश का सकल घरेलु उत्पाद( डॉलर की मौजूदा कीमतों पर) 12.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसे compound annual rate (CAGR) कहते हैं। भारत में इसी दौरान यह 5.6 प्रतिशत रहा है। बांग्लादेश ने भारत से दोगुनी तरक्की की है। इसी दौरान पाकिस्तान की जीडीपी 8.6 प्रतिशत रही है। निवेश और निर्यात के कारण यह वृद्धि हुई है। चीन की अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। बिजनेस स्टैंडर्ड में कृष्ण कांत की रिपोर्ट में ये सारी बातें हैं।

भारत में प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की दर देखें तो बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय तीन गुनी रफ्तार से बढ़ रही है। भारत में इन तीन वर्षों में प्रति व्यक्ति आय 12 प्रतिशत की दर से बढ़ी है तो बांग्लादेश में 40 प्रतिशत और पाकिस्तान में 21 प्रतिशत की दर से। अगर यही हाल रहा तो 2020 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय भारत से ज़्यादा हो जाएगी।

भारत की अर्थव्यवस्था 1970 से 2010 के बीच दक्षिण एशिया में सबसे आगे रही है। 2014-16 के दौरान भारत का नियार्त 3.9 प्रतिशत की दर से संकुचित रहा है जबकि इसी दौरान बांग्लादेश का निर्यात 7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसी दौरान भारत में निवेश ठहर सा गया जबकि बांग्लादेश में 14.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।

दुनिया भर में 2022, 2030, 2050 तक हो जाने के लक्ष्य रखे जाते हैं। एक मूल्यांकन साल के आधार पर टाले गए इन लक्ष्यों का भी होना चाहिए कि कितने पूरे हुए और कितने वहीं के वहीं रह गए और साल आकर चला भी गया। भारत में भी एक ऐसा टालू और चालू लक्ष्य 2022 का घूम रहा है। ख़ैर कभी कभी अपने पड़ोस में भी झांक लेना चाहिए।

(रवीश कुमार की फ़ेसबुक वॉल से)

द फ्रीडम स्टॉफ
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