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नज़रिया

पुलिस से लेकर न्याय व्यवस्था और समाज में इतने गिद्ध भरे हैं कि इंसान का मतलब नहीं रह गया – रवीश कुमार

हमारी राजनीतिक चर्चा थ्योरी और थीम के आसपास घूमती रहती है। शायद इनके विश्लेषण में विद्वान होने का मौक़ा मिलता होगा। राजनीति चलती भी है थीम और थ्योरी से। इस छतरी के नीचे हमारा सिस्टम कैसी कैसी क्रूरताओं से भरा है, हम उसके प्रति हाय-हाय और मुरादाबाद से ज़्यादा संवेदनशील भी नहीं होते। इससे ज़्यादा कोई कर भी क्या सकता है, इस तर्क से थोड़ा आगे निकल कर देखिए तो पुलिस से लेकर न्याय व्यवस्था और समाज में इतने गिद्ध भरे हैं कि इंसान का मतलब नहीं रह गया। सब जानते हैं मगर सबके जानने के बीच ही ऐसे क्रूर लोग सिस्टम के भीतर बैठे हैं। हत्या के केस में घूस खाने के लिए और देने के लिए।

कल मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से हरिकृष्ण प्रेमचंद, उनकी पत्नी और बेटे आए थे। मेरी माँ और पिताजी के उम्र के। पुलिस और कोर्ट सिस्टम ने इतना लाचार बना दिया है कि हाथ जोड़ने लगे और बात बताने से पहले रोने लगे। ससुराल वालों ने उनकी गर्भवती बेटी प्रगति साध्वानी को इतना मारा कि कोमा में चली गई। 85 दिन कोमा में रही। पुणे के एक अस्पताल में बेटी मौत से जूझ रही थी और उसके पिता वहीं फुटपाथ पर टाइल बेचने लगे। क्योंकि बुरहानपुर में टाइल की छोटी सी दुकान थी। पुलिस ने केस तक दर्ज नहीं किया। जब किया तो इतना कमज़ोर कर दिया कि कुछ हुआ नहीं। इस कहानी का डिटेल कुछ नहीं लिखा है। आप सहन नहीं कर पाएँगे। ससुराल वाले पैसे खिलाकर ख़ुद को बचा रहे हैं और बेटी के माँ बाप अपनी बेटी को इंसाफ़ दिलाने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बीस बार मिल रहा है। अपने बेटों की उम्र के पत्रकारों के सामने हाथ जोड़ कर रो रहा है।

आज सुबह शाश्वत का एक मेसेज आया। इस मेसेज को पढ़ते हुए लगा कि कुछ तो कहीं बचा नहीं है फिर ये थीम और थ्योरी की बहस किस लिए है। कुछ भी नया नहीं है मगर सवाल तो यही है कि यह कब तक चलेगा कि यह सब तो होता रहता है।

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अमेरिका से लौटकर बिहार में रहते हुए लगभग डेढ़ साल हुआ है | इतना समय कैसे गुज़ारा पता नहीं चला | शुरुआत के कुछ महीनों में जब लोग मदद – पैरवी के लिए आते थे तो यही लगता था कि क्या सही में इस तरह की बात हो सकती है | बात में जब हर शनिवार और रविवार लोगों से मिलने के लिए गांव में बिताने लगा तो एहसास हुआ कि बिहार की विधि व्यवस्था इतनी सड़ चुकी है कि बिहार का शीर्ष नेतृत्व और बड़ा से बड़ा प्रसाशनिक अधिकारी भी हार मान चुका हैं या फिर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है | किसी भी थाना – सरकारी कार्यालय में कोई काम बिना वसूली के नहीं होता है और अधिकांश शक्तिशाली लोग अपने से कमज़ोर का शोषण करते हुए नज़र आते हैं |

अभी हाल ही में एक घटना हुई है | दो मिनट के लिए सोचियेगा कि जिसके साथ हुआ है उसके परिवार वालों पर क्या बीतती होगी |

एक मुस्लिम औरत को उसके पति नें दहेज़ के लिए गला घोंटकर मार दिया | पति लाश को दफ़नाने के लिए अपने भाई के साथ रात में चोरी छुपे दो तीन कब्रिस्तान गया मगर लोगों को पता चल गया और हल्ला हुआ तो वह वहां से भाग गया | बाद में घर के पखाना के टंकी के बगल में लाश को गाड़ दिया | लड़की के घर वालों को किसी पडोसी नें फ़ोन किया तो वह पूछताछ करने आये | ससुराल वालों नें उन्हें बताया कि उनकी बेटी नें ज़हर खा लिया था और उसे दफना दिया गया है | जब लड़की के घरवालों नें पूछा कि कहाँ दफनाया गया है तो ससुराल वाले बरगलाने लगे | लड़की के घर वालों को संदेह हुआ तो पुलिस को खबर किया | पुलिस के आते ही पति भाग गया | बड़ी मशक्कत के बाद लाश बरामद हुई मगर तब तक सड़नी शुरू हो गयी थी |

पुलिस नें लाश को पोस्ट मार्टम के लिए मोतिहारी सदर अस्पताल भेज दिया | दो दिन बीतने के कारण लाश की स्तिथि काफी खराब हो गयी थी और उसका पोस्ट मार्टम वहां नहीं हो सकता था इसलिए मोतिहारी सदर अस्पताल के डॉक्टर ने मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज रेफेर कर दिया |

क़ानूनी रूप से लाश को एक जिले से दूसरे जिले में ले जाने के लिए जुडिसियल मजिस्ट्रेट के द्वारा अधिकारी नियुक्त किया जाता है | तब तक मोतिहारी थाना के पुलिस वालों नें पोस्ट मार्टम के लिए लाश नहीं ले जाने के लिए तकरीबन एक लाख रूपया घुस ले लिया था | पुलिस वालों को असहयोग करता देख लड़की के घरवालों नें मुझे फ़ोन किया | मैंने डी एम और थाना अध्यक्ष को फ़ोन करके कहा तब जाकर जुडिसियल मजिस्ट्रेट के यहाँ दूसरे जिले में पोस्ट मार्टम के लिए अधिकारी बहाल करवाने के लिए पुलिस के द्वारा आवेदन दिया गया |

शाम में पुलिस का एक अधिकारी लाश लेकर मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज गया | अगले दिन लाश का पोस्ट मार्टम किया गया | पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने कहा कि सामान्य कारणों से मौत हुई है | जब मुझे दोबारा फ़ोन आया की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में नार्मल डेथ लिखा है तो मैंने पोस्ट मार्टम करने वाले डॉक्टर का पता किया | पता चला कि वह मेरे गाँव के पास के ही एक डॉक्टर हैं जो मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड हैं |

उनसे पूछा कि ऐसे कैसे लिख दिया तो ठीक जवाब नहीं दे पाए | थोड़ा ज़ोर देकर कहा कि ठीक ठीक बताइये नहीं तो सी आई डी के जांच के लिए आवेदन दिया जाएगा | तब उन्होंने जवाब दिया कि ये लोग बताया नहीं कि ये आपके आदमी हैं , गलती हो गयी है मगर अभी विसरा का जांच होना है | उसमें कुछ करने का प्रयास कर सकते हैं | बाद में पता चला कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट गलत लिखने के लिए लड़के के घर वालों ने पांच लाख घुस दिया था | जिसनें हत्या किया है वह अभी भागा हुआ है | अब पुलिस का कहना है कि केस ही गलत है , पोस्ट मार्टम कि रिपोर्ट में साफ़ तौर सामान्य कारणों से मौत लिखा है |

वैसे भी अब किसी कोर्ट में यह साबित नहीं हो पायेगा कि हत्या हुई थी क्यूंकि पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट में सामान्य मौत लिखा गया है |

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