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चलिए जानते है राज्यसभा जाने वाले ‘पाॅलिटिकल साइंटिस्ट’ राकेश सिन्हा को

संघ विचारक,लेखक,पत्रकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक काॅलेज में एसोसिएट प्रोफेसर प्रो.राकेश सिन्हा को राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनित किया गया है। इसके साथ ही पूर्व सांसद और समाजसेवी राम शकल,मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा एवं प्रख्यात डांसर सोनल मानसिंह के नाम भी शामिल हैं।

टीवी चैनल डिबेट्स में आरएसएस विचारक के तौर नज़र आने वाले बिहार के बेगूसराय निवासी प्रो.राकेश सिन्हा की प्रारंभिक शिक्षा पटना फिर रांची में हुई। तब उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्यपाल मुख्यमंत्री द्वारा दो गोल्डमेडल हासिल किए थे।फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू काॅलेज से बी.ए,एम.ए.(पॉलिटिकल साइंस) किया,इसमें भी टाॅपर रहने के साथ गोल्ड मेडलिस्ट रहे। इसके बाद प्रो.सिन्हा ने सिविल लिबर्टीज़ मूवमेंट आॅफ इंडिया विषय पर एम.फिल किया।

डाॅ.हेडगेवार पर शोध पर विवाद

एम.ए में शैक्षणिक रिकॉर्ड को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने उन्हें शोध-निबंध के लिए मौका दिया तो उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डाॅ.केबी हेडगेवार पर शोध-निबंध काम चालू किया जिसका नाम था (पाॅलिटिकल आइडियाज़ आॅफ़ डाॅ के.बी.हेडगेवार) जिसके बाद लेफ्ट प्रभुत्व वाले पाॅलिटिकल डिपार्टमेंट में विवाद खड़ा हो गया। इन्हें इस पर शोध करने पर रोका गया,लेकिन सिन्हा डटे नहीं और अपने काम जारी रखा और इस विषय पर सराहना पाई।

CPI(M)पर शोध

प्रो.सिन्हा ने एक और रोचक विषय काम किया उन्होंने अपने पीएचडी थीसिस में CPI(M) की 1964 की स्थापना से लेकर 2007 तक के समय को लेकर गहन शोध किया। जिसमें CPI(M)के ऊंचाई से लेकर ढाल तक के समय की पूरा कहानी है और इसके लिए सिन्हा ने ज्योति बसु से लेकर मिरजकर से साक्षात्कार का सहारा भी लिया।

एक दर्जन किताबें और कई रिसर्च पेपर 

प्रो.सिन्हा ने करीब एक दर्जन बुक्स भी लिखी है जिनमें संघ के संस्थापक डाॅ.हेडगेवार की जीवनी,टेररिज़्म एंड इंडियन मीडिया,पाॅलिटिकल जर्नलिज्म़ जैसे कई नाम है. इसके अलावा सिन्हा ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर भी अपने शोध द्वारा गंभीर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही रोटी राज्य रोज़गार का संप्रदायिकरण नामक शीर्षक के साथ ही कई रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये है।

पत्रकारिता का सफ़र

अपनी उच्चशिक्षा काल के दौरान ही इन्होंने पत्रकारिता की ओर भी रुख कर लिया जहां इनकी रिपोर्टस, आर्टिकल, विश्लेषण जनसत्ता,हिन्दुस्तान, रविवार,पांच्जन्य जैसे प्रमुख अख़बारों में छपने लगे। उस समय आॅनलुकर नामक मैगज़ीन के दिल्ली संवाददाता भी बने जिसके संपादक उस समय रजत शर्मा थे। प्रो.राकेश सिन्हा दिल्ली स्थित इंडियन पाॅलिसी फाउंडेशन नामक शोध संस्थान के 2008 से संस्थापक निदेशक भी है

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