नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर लंबे समय से जारी सैन्य तनातनी के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की आक्रामकता को जिम्मेदार ठहराते हुए साफ कहा कि भारतीय सैनिकों के पराक्रम और साहस ने चीनी सेना को पीछे हटने पर विवश कर दिया। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब भी बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा होने की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि बिना किसी उकसावे के ऐसी आक्रामकता इस बात का सुबूत है कि बदल रही दुनिया में मौजूदा समझौतों को चुनौती दी जा रही है। रक्षा मंत्री ने उद्योग संगठन फिक्की के 93वें वार्षिक सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान पूर्वी लद्दाख में करीब आठ महीने से जारी सैन्य तनाव का उल्लेख करते हुए यह बात कही।
राजनाथ ने कहा कि हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के दिखाई गई सैन्य आक्रामकता बता रही है कि किस तरह पुरानी संधियों की अनदेखी कर इन्हें चुनौती दी जा रही है। हिंद-प्रशांत के समुद्री इलाके में दिखाई जा रही आक्रामकता को लेकर भी राजनाथ ने बीजिंग को कठघरे में खड़ा किया। कहा कि केवल हिमालय क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी आक्रामकता दिखाई जा रही है।
गलवन घाटी से लेकर पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चो पर भारतीय सैनिकों की बहादुरी का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे सैन्य बलों ने चीनी सेना का जिस पराक्रम के साथ सामना कर उन्हें पीछे हटने पर बाध्य किया उस पर देश को अभिमान है। हमारी आने वाली पीढ़ियां भी सैनिकों के इस पराक्रम पर गर्व करेंगी। खास यह भी है कि भारतीय सैनिकों ने सीमा की चुनौतियों का सामना करने के दौरान अनुकरणीय साहस के साथ प्रशंसनीय धैर्य भी दिखाया है।
सीमा पार आतंकवाद पर पाक को घेरा
सीमा पार आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को आतंकवाद का सरगना करार देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने इस अभिशाप का अकेले मुकाबला किया और तब कोई हमारा समर्थन नहीं करता था। लेकिन आखिरकार दुनिया ने यह माना कि भारत का यह कहना बिल्कुल सही है कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का सरपरस्त है।