उत्तर प्रदेश

थोड़ा दाना-थोड़ा पानी, चहकती रहेगी चिड़िया रानी – राजेंद्र वैश्य

आशुतोष गुप्ता, रायबरेली: गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ ही चिड़ियों के पानी की समस्या बढ़ जाती है, पेड़ों की लगातार होती कमी और सूखते जल स्रोतों की वजह से गौरैया व अन्य पक्षियों का आश्रय व दाना पानी की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता हैं। गर्मी हर वर्ष लाखों चिड़िया पानी की कमी से मर जाती हैं। ऐसे कम ही संवेदनशील लोग हैं जो जीव- जंतुओं का भी ख्याल रखते हैं और उन्हें सुरक्षित देखना चाहते हैं। ऐसे पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था व संरक्षण के लिए राजेंद्र वैश्य के नेतृत्व में पृथ्वी संरक्षण संस्था पिछलें कई वर्षों से कार्य कर रही है। राजेंद्र के साथ चिड़ियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था में उनका साथ देते हैं उनके भतीजे आयुष्मान।

संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र वैश्य ने कहा इस बार चिलचिलाती धूप के तपिश भरे मौसम में पारा बहुत ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। पेड़ों की लगातार होती कमी और लगातार सुखते जल स्रोतों की वजह से गौरैया व अन्य पंक्षियों को आश्रय व दाना पानी की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता है। जिस प्रकार हमें इस गर्मी में पंखें, कूलर, व ठंडे पानी की आवष्यकता होती है उस प्रकार उन्हें भी दाना पानी व छाया की जरूरत पड़ती है।

भारत जैसे देश में बहुतायात में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या में 80 से 90 प्रतिशत कमी आई है। लगातार पेड़ों की कटाई, बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण, बिजली के तार व खेतों में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग से घटती संख्या के लिए जिम्मेदार है। टावरों से निकलने वाली रेडियेशन किरणों से भी गौरैया आदि पंक्षियों की दिशासूचक प्रणाली व प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप गौरैया व अन्य पंक्षियों की संख्या लगातार घट रही है।

राजेंद्र कहते हैं कि अगर आपके घर के आस-पास पक्षी कम आते हैं, तो आप उन्हें बुलाने की व्यवस्था कर सकते हैं। पक्षी बहते पानी की आवाज़ से आकर्षित होते हैं, इससे वो न सिर्फ़ आकर्षित होते हैं, बल्कि बहते पानी में नहाने से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है। ऐसा करने से मच्छरों और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों से भी उनका बचाव होता है। उनके नहाने के लिए बेसिन की व्यवस्था करते समय ध्यान रखना चाहिए कि वो न तो ज़्यादा गहरे हों और न ज़्यादा उथले। डेढ़ इंच की गहराई आमतौर पर सही मानी जाती है। उनके नहाने के लिए ठहरा हुआ पानी रख रहे हों, तो उसमें समय-समय पर बर्फ़ डालना न भूलें।

पक्षियों के लिए छाया भी जरूरी

पक्षियों की प्यास बुझाने के साथ ये भी ज़रूरी है कि उन्हें धूप से भी बचाया जाए। इसके लिए हम उनके लिए छायादार आश्रय-स्थल बना कर बालकनी में या बगीचे में पेड़ों की शाखाओं पर टांग सकते हैं. पक्षियों के लिए गत्ते के घर सबसे अच्छे होते हैं. इनके लिए आप जूतों के डिब्बे आसानी से प्रयोग में ला सकते हैं. पक्षियों के लिए आश्रय-स्थल बनाते वक़्त ध्यान रखें कि उसमें हवा आसानी से आती-जाती हो. इन्हें ऊंचाई पर टांगे, ताकि बिल्ली और दूसरे जानवरों से वो सुरक्षित रह सकें.

प्रकृति ने पक्षियों के शरीर को इस तरह बनाया है कि वो गर्मियों का सामना कर सकें। पक्षियों को पसीना नहीं आता, उनके चेहरे पर नग्न त्वचा होती है, उनका श्वसन तंत्र भी तुलनात्मक रूप से तेज़ होता है। पक्षियों की कुछ प्रजातियां अपने रक्त प्रवाह को भी नियंत्रित कर सकती हैं, जिससे शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलती है। लेकिन फिर भी ये सब काफ़ी नहीं है और गर्मियों से लड़ने के लिए पक्षियों को हमारी मदद की ज़रूरत होती है।

द फ्रीडम स्टॉफ
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