‘देश हमें देता है सब कुछ,हम भी तो कुछ देना सीखें’। देश को अलग से कुछ देने की आवश्यकता नही है। जो कार्य तुम्हे सौंपा गया है उसे निष्ठा और ईमानदारी से करो। देश को उसी से बहुत कुछ मिल जाएगा। देश से अपने लिए हम लोग सारे अधिकार,सुविधाएं,सहूलियतें और सारे संशाधनों को पूरा किए जाने का हक तो जताते है किंतु बदले में उसके लिए हम क्या करते है? कभी सोचा है हम सबने? नही ना। प्रत्येक देश के नागरिक के मन में अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पण करने की भावना होनी चाहिए । उसमें मातृभूमि के ऋण को चुकाने के लिए बलिदान की भावना होनी चाहिए ।
देश द्वारा प्रदत्त हमारे अधिकारों में जरा सा खलल पड़ने पर हम तिलमिला जाते हैं। लोकतंत्र में रहने की दुहाई देते है। टैक्सदाता होने का रौब झाड़ते है। क्या लोकतंत्र एकतरफा कायम होता है? राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आपको धन या समय नही खर्च करना होता है। सिर्फ अपनी आदतें सुधार लें। इधर-उधर कूड़ा न फेकें,ऐसा काम करें जिससे आपके परिवार के अलावा अन्य परिवारों का भी हित हो,सरकार के नियम-कानूनों का पालन करें।
प्राकृतिक संसाधनों का उचित हिसाब से उपयोग करें। जलश्रोत नदी,तालाब,पोखर एवं कुआं में कूड़ा-कचरा न डालें।इन्हें स्वच्छ व संरक्षित करने तथा पेड़-पौधों को संरक्षित व संवर्धित करनें में सहयोग करें। इससे आपका और आपके परिवार सहित अन्य परिवारों का भला होगा और राष्ट्र का विकास होगा। तो आइए, आजादी के जश्न के अवसर पर नए संकल्प लेकर देश के सच्चे नागरिक होने का फर्ज अदा करें।
आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं।
लेखक-
राजेंद्र वैश्य,
पर्यावरणविद् एंव अध्यक्ष, पृथ्वी संरक्षण