रामगढ़: अलवर जिले में मॉब लिंचिंग में अकबर उर्फ रकबर की मौत और पुलिस की भूमिका पर लगातार उठ रहे सवालों के बाद एडीजीपी स्तर के अफसर के नेतृत्व में 4 सदस्यीय टीम ने रामगढ़ में पूरे घटनाक्रम की जांच की। सोमवार शाम करीब 7 बजे स्पेशल डीजी (कानून-व्यवस्था) एनआरके रेड्डी ने कहा, “प्रथमदृष्टया मामले में पुलिस टीम के निर्णय में चूक सामने आई है। जो हुआ वह टाला जा सकता था। वे (पुलिस वाले) प्राथमिकता के आधार पर उचित फैसला नहीं ले सके। पूरे मामले की एएसपी स्तर की जांच जारी रहेगी।” रामगढ़ पुलिस पर आरोप है कि वह जख्मी अकबर को अस्पताल की जगह पहले थाने ले गई। वक्त पर इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई। कुछ गवाहों का कहना है कि अकबर को उन्होंने पुलिस की जीप में बैठे देखा था।
घटनास्थल पर मौजूद प्रभारी अधिकारी एएसआई मोहन सिंह को सस्पेंड कर दिया है, जबकि तीन कांस्टेबलों विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह और हरेंद्र सिंह को लाइन हाजिर किया है। हालांकि, पुलिस ने अकबर की पिटाई की या नहीं, इस पर उन्होंने साफ-साफ कुछ नहीं कहा।
लाठी-डंडों से हत्या
अकबर की भीड़ ने घेरकर पिटाई की:अलवर के पास रामगढ़ के गांव ललावंडी में 20 जुलाई की रात अकबर उर्फ रकबर मेव (28) को पीट-पीटकर कर मार दिया गया था। अकबर अपने साथी असलम के साथ गाय लेकर पैदल हरियाणा जा रहा था। खेतों में ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। असलम तो बचकर भाग निकला, लेकिन भीड़ ने अकबर की लाठी-डंडों से हत्या कर दी। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर ललावंडी के धर्मेन्द्र यादव और परमजीत को गिरफ्तार किया है।
पुलिसवालों को युवक को पीटते देखा
सोमवार को रामगढ़ में गोविंदगढ़ मोड़ पर ही चाय बेचने वाले एक दुकानदार ने दावा किया कि रामगढ़ पुलिस एक युवक को जीप में ले जाते वक्त रात करीब सवा तीन बजे उसकी दुकान पर रुकी थी। पुलिस वालों ने यहां चाय पी। मैंने पुलिसवालों को युवक को पीटते देखा।
3 दिन में मौत पर तीसरी जांच टीम
चश्मदीद का दावा था कि अकबर की मौत कस्टडी में मारपीट से हुई। पुलिस ने अस्पताल ले जाने में 3 घंटे देरी की। खबर के बाद जांच जयपुर क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी (सतर्कता) को दे दी गई। 23 जुलाई को भास्कर ने एफआईआर का झूठ खोला। एफआईआर में लिखा था कि अकबर ने मौत से पहले नाम-पता बताया था। लेकिन अस्पताल में उसे अज्ञात बताकर एंट्री हुई थी।