उत्तर प्रदेश

Raebareli: क्षेत्रीय पत्रकार पर जानलेवा हमला, सच्चाई को दबाने की कोशिश

हेमन्त कुमार अग्रहरि, रायबरेली: भ्रष्टाचारी, क्षेत्र में वर्चस्व कायम करना, पत्रकारिता का गला घोटना, सच पर वार करना, लोकतंत्र के साथ मजाक यह सारी हकीकत रायबरेली में सामने आ गई। एक साप्ताहिक समाचार पत्र के क्षेत्रीय संवाददाता शैलेश अग्रहरी पर हुए प्राणघातक हमले ने यह साबित कर दिया है की चौथा स्तंभ भ्रष्टाचारियों के लिए कोई मायने नहीं रखता साथ में माननीय हाईकोर्ट के उस आर्डर की भी धज्जियां उड़ गई जिसमें कहा गया था पत्रकारों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की हामी भरी थी और कहा था उत्तर प्रदेश में किसी भी पत्रकार पर हुआ अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।

भ्रष्टाचारी खबरों को लिखना पड़ा भारी संगठित होकर पत्रकार पर करवाया हमला

आमतौर पर पुलिस प्रशासन की पकड़ किस तरह कमजोर होती है इसका खुलासा तो होता रहता है। लेकिन जब पत्रकारों की कलम को ही तोड़ा जाएगा तो सच कौन लिखेगा गांव और क्षेत्रों में पनप रहे उन भ्रष्टाचारियों की हकीकत कैसे सामने आएगी इसका बड़ा सवाल सीधे रायबरेली के जिला प्रशासन से है। राष्ट्रीय कवच अखबार के संवाददाता शैलेश अग्रहरी पर हुआ हमले के विषय में जब संस्थान से जानकारी ली गई तो यह पता चला है विगत कई बार क्षेत्र की भ्रष्टाचारी खबरें प्रकाशित की गई थी जिससे भ्रष्टाचारी पूरी तरह से घात लगाए हुए बैठे थे। हमले को बड़ी ही गुपचुप तरीके से रचा गया पत्रकार के परिवार में ही चली आ रही रंजिश को हथियार बनाया गया और उनके ऊपर प्राणघातक हमले की साजिश उसी रंजिश का एक दूसरा पहलू है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कोई कैसे कानून को अपने हाथ में ले सकता है?

क्या सच लिखना अपराध हो गया है? रायबरेली पुलिस अधीक्षक बताएं

रायबरेली में पत्रकारों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं सच का गला घोटने के लिए सामूहिक रूप से प्रयत्न जारी है। हुए हमले ने यह साफ दिख ला दिया है रायबरेली में कानून व्यवस्था की कद्र हमलावर नहीं कर रहे हैं उन्होंने जिसको अपने राडार पर लेना था ले लिया चाहे वह पत्रकार हो या अन्य कोई।ऐसे में रायबरेली पुलिस अधीक्षक से यह पूछना मुनासिब होगा क्या सच लिखना अपराध हो गया है?

गुरबख्शगंज पुलिस का क्या कहना? मामले को बता दिया परिवारिक रंजिश

रायबरेली पुलिस पहले से ही मामले को छुपाने में और दबाने में एक्सपर्ट रही है, पत्रकार पर हुए हमले के बाद फिर उसने यही किया। माननीय हाईकोर्ट के निर्देशों का ना ही पालन किया गया और ना ही प्राणघातक हमले पर त्वरित रूप से जांच की गई। पीड़ित पत्रकार जिला अस्पताल में भर्ती है उसका इलाज चल रहा है लेकिन पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने में जरा भी देरी नहीं की अनुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया जिससे जल्द से जल्द एफआर लगा कर मामले को खत्म किया जाए। विदित हो कि रायबरेली के पत्रकारों पर पहले भी हमले हो चले हैं ऐसे में रायबरेली पुलिस से सवाल यही है क्या पत्रकारिता का फर्ज निभाना गुनाह है!

राष्ट्रीय कवच समूह ने कहा मुख्यमंत्री तक हुई घटना को पहुंचाएंगे

राष्ट्रीय कवच पुलिसिया कार्यशैली से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है हमारे पत्रकार पर हुआ हमला निंदनीय है हम इसकी घोर निंदा करते हैं। सारे घटनाक्रम एफआईआर की कॉपी हम मुख्यमंत्री कार्यालय से साझा करेंगे तथा राजधानी में मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी बात को रखेंगे और कार्यवाही की मांग करेंगे। हम मांग करते हैं हमारे पत्रकार पर हुआ हमला प्राणघातक है, संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए जिससे बेलगाम अपराधियों को सजा मिल सके।

द फ्रीडम स्टॉफ
पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें।
https://thefreedomsnews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *