पुणे: महाराष्ट्र के पुणे हुए पोर्शे कार हादसे में रोज नए खुलासे हो रहे है। अब खुलासा हुआ है कि इस हादसे के बाद आरोपी नाबालिग के पिता ने एक विधायक को फोन किया था। उसने विधायक को फोन पर कहा था मेरे बेटे को बचा लो। विधायक भी इस फोन कॉल के बाद सुबह 3 बजे घटनास्थल पर पहुंच गए। इसके बाद वे उस पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां किशोर को ले जाया गया था। विधायक पर आरोप लगे हैं कि उनके दखल के बाद नाबालिग आरोपी का 8 घंटे बाद अल्कोहल टेस्ट हुआ थ। अब पुलिस पर इसे लेकर सवाल उठ रहे है।
वहीं आरोप लगने के बाद टिंगरे ने स्पष्ट किया कि उनकी मौजूदगी पुलिस पर दबाव बनाने के लिए नहीं थी। विधायक ने बताया कि इस हादसे के एक घंटे से भी कम समय बाद मुझे आरोपी के पिता का फोन आया। इसके बाद वे उस पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां किशोर को ले जाया गया था। टिंगरे ने स्पष्ट किया कि उनकी उपस्थिति पुलिस पर दबाव बनाने के लिए नहीं थी। उन्होंने कहा कि आप मेरे कॉल रिकॉर्ड देख सकते हैं। मैंने आरोपी के खिलाफ मामला कमजोर करने के लिए किसी पुलिस अधिकारी या राजनेता को कोई कॉल नहीं किया है। मेरे राजनीतिक विरोधी मुझे बदनाम करने के लिए झूठ फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
टिंगरे ने बताया कि रविवार को उन्हें और उनके निजी सहायक को सुबह 3.20 बजे किशोर के पिता का फोन आया। उन्होंने मुझे बताया कि उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है और भीड़ उसे पीट रही है। मैं मौके पर पहुंचा, लेकिन लड़के को पहले ही येरवडा पुलिस स्टेशन ले जाया जा चुका था। वहां पहुंचने पर मैंने पाया कि इंस्पेक्टर मौजूद नहीं था। इंस्पेक्टर एक घंटे से ज़्यादा समय बाद पहुंचे। उन्होंने बताया कि बाहर बड़ी भीड़ जमा थी।
‘मैंने उनसे कानून के अनुसार काम करने को कहा’
टिंगरे ने बताया कि इंस्पेक्टर ने उन्हें बताया कि लड़का एक दुर्घटना में शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप दो लोगों की जान चली गई। जब उन्होंने मुझे मामले की गंभीरता बताई, तो मैंने उनसे कानून के अनुसार काम करने को कहा। वहां से निकलते समय टिंगरे की मुलाकात लड़के के पिता से हुई और उन्होंने उसे दुर्घटना के बारे में बताया। लड़के के पिता को भी पुलिस स्टेशन पहुंचने पर मौतों के बारे में बताया गया। टिंगरे ने बताया कि वे सुबह करीब 6 बजे वहां से निकले थे।
आरोपों पर दी सफाई
उन्होंने उन आरोपों से भी इनकार किया कि उन्होंने लड़के को पिज्जा और पानी दिया। उन्होंने कहा कि मैं लड़के से नहीं मिला और न ही मैंने उससे कोई बात की। मैं उसे पिज्जा कैसे दे सकता हूं? टिंगरे ने कहा कि पुलिस स्टेशन से निकलने के बाद उन्होंने किशोर के पिता को फोन किया और शाम को मामले के बारे में अपडेट लेने के लिए पुलिस अधिकारियों से भी मिले। उस समय तक मामला पहले ही तय हो चुका था। मेरे द्वारा मामले को प्रभावित करने का सवाल ही कहां उठता है? अगर मेरा ऐसा कोई इरादा होता, तो मैं उसे बचा सकता था और उसका नाम सामने नहीं आने देता।