देश

प्रशांत भूषण ने जो जवाब दिया, वह ज्यादा अपमानजनक है – सुप्रीम कोर्ट

बृजेश यादव, नई दिल्ली: दो ट्वीट्स के आधार पर कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के मामले में अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि भूषण को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए, उन्हें सजा न दी जाए। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण ने अपनी टिप्पणी के जवाब में जो बयान दिया है वह ज्यादा अपमानजनक है।

पिछली सुनवाई में प्रशांत भूषण ने 2009 में दिए अपने बयान पर खेद जताया था लेकिन बिना शर्त माफ़ी नहीं मांगी थी। उन्होंने कहा था कि तब मेरे कहने का तात्पर्य भ्रष्टाचार कहना नहीं था बल्कि सही तरीक़े से कर्तव्य न निभाने की बात थी। जानकारी के लिए बता दें कि 2009 में एक इंटरव्यू में वकील भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 8 पूर्व चीफ़ जस्टिस को भ्रष्ट कहा था।

जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘ट्वीट को न्‍यायोचित ठहराने संबंधी उनका जवाब पूरी तरह अनुचित है। प्रशांत भूषण जैसे वरिष्‍ठ मेंबर से ऐसी उम्‍मीद नहीं की जाती। यह केवल उन्‍हीं की बात नहीं है, यह अब सामान्‍य बनता जा रहा है। यदि 30 वर्ष से कोर्ट में खड़ा जैसा होने वाले भूषण जैसा शख्‍स ऐसा कहता है तो लोग उन पर विश्‍वास करते हैं। वे सोचते हैं जो वे कह रहे हैं वह सच है। भले ही यह कुछ और हो। इसे आसानी से अनदेखा किया जा सकता था लेकन जब भूषण कुछ कहते हैं तो इसका कुछ असर होता है।’

उन्‍होंने कहा, ‘आपको इस बारे में कहीं न कहीं फर्क करना होगा। स्‍वस्‍थ आलोचना से कोई परेशानी नहीं है। यह किसी संस्‍थान की भलाई के लिए है। आप इस सिस्‍टम का हिस्‍सा हैं, आप सिस्‍टम को तबाह नहीं कर सके। हमें एक-दूसरे का सम्‍मान करना होगा। यह सिस्‍टम के बारे में है। यदि हम एक-दूसरे को तबाह करेंगे तो संस्‍थान के प्रति विश्‍वास किसका रह जाएगा। आपको सहनशील होना होगा, देखिए कोई क्‍या कर रहा है और क्‍यों? केवल हमला मत करिए।’

‘जज अपना बचाव करने या स्‍पष्‍टीकरण देने प्रेस में नहीं जा सकते। हमें जो कुछ कहना है, उसे फैसले में लिख देंगे। बहुत सारी बातें हैं लेकिन क्‍या हम प्रेस के पास जा सकते हैं। मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। यह जजों के लिए Ethics है। यदि हम एक-दूसरे से लड़ेंगे, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे तो हम संस्‍थान को ही खत्‍म कर देंगे।’

द फ्रीडम स्टॉफ
पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें।
https://thefreedomsnews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *