मनी लांड्रिंग और आतंकी वित्तीय पोषण पर नजर रखने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को राहत नहीं मिली है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान अभी भी बना रहेगा। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक के बाद ये फैसला लिया गया है। पाकिस्तान को लेकर कहा गया है कि उसे एफएटीएफ की 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच होने वाली अगली बैठक से पहले एक्शन प्लान में बताए सभी पॉइंट्स को पूरा करने के लिए काम करना पड़ेगा।
आपको बता दें, एफएटीएफ के इस समूह में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संस्था की तरफ से जो रिपोर्ट तैयार की गई उसमें पाकिस्तान ने 27 में से सिर्फ 26 कार्यबिंदुओं को ही पूरा किया। इसके बाद एफएटीएफ की तरफ से पाकिस्तान को अगले छह महीने के लिए एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में रखने का औपचारिक ऐलान आज किया गया है। आपको बता दें, एफएटीएफ- मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली एक वैश्विक संस्था है। पाकिस्तान बीते तीन साल से इसकी ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। इसका मतलब ये है कि पाकिस्तान में पैसे का इस्तेमाल आतंकियों की फंडिंग के लिए किया जाता है। किसी देश के ग्रे लिस्ट में शामिल होने से उसके विदेशी निवेश के प्रवाह पर प्रभाव पड़ता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान को 2018 के जून महीने में ही ग्रे सूची में डाला था। इसके बाद अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए एफएटीएफ के रिव्यू के दौरान भी पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिल पाई थी। एफएटीएफ की सिफारिशों पर पाकिस्तान काम करने में विफल रहा है। इसके साथ ही, दौरान पाकिस्तान में विदेशों से और घरेलू स्तर पर लगातार आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मिलती रही है।