आयुर्वेद के नाम पर लोगों को गुमराह करने के आरोपी बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। नोटिस का जवाब नहीं देने के बाद कोर्ट ने ये कदम उठाया है। पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापन मामले में स्वामी रामदेव (पतंजलि के को-फाउंडर) और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने को कहा है। कंपनी और आचार्य बालकृष्ण ने नोटिस का जवाब दाखिल नहीं दिया जिसकी वजह से यह आदेश जारी किया गया है।
दोनों को अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होना होगा। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने बाबा रामदेव को यह बताने को भी कहा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए?
इससे पहले 27 फरवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगाई थी। इसके अलावा पतंजलि आयुर्वेद कंपनी और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।
10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।
कोर्ट के आदेश के बाद भी पतंजलि ने जारी किए विज्ञापन
इससे पहले हुई सुनवाई में आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था।
ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी। 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।