नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेश्वर आज रिटायर हो गए। चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट में करीब 7 साल से कार्यरत थे। जस्टिस चेलमेश्वर के रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। रिटायर होने के बाद जस्टिस चेलमेश्वर ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की। जब उनसे उनके सफर के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, मुझे अपने 42 साल के करियर में कोई पछतावा नहीं है।
CJI से निजी समस्या नहीं
न्यायाधीश से निजी समस्या नहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या न्याय की सर्वोच्च संस्था की विश्वसनीयता संकट में हो सकती है तो उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा, ‘कभी-कभी हो सकती है। रिटायरमेंट से पहले उन्होंने कहा कि उनकी किसी भी मुख्य न्यायाधीश से निजी समस्या नहीं रही। वह केवल सुधार के जरूरी मुद्दों को ही उठा रहे थे। निजी स्तर पर मुझे इनमें से किसी भी जज से समस्या नहीं रही। मैं संस्थानिक मुद्दे उठा रहा था। वहां एक रेखा खींचने की जरूरत थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं
जस्टिस जे. चेलमेश्वर इसी साल 12 जनवरी को देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत करते हुए प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों में शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, 12 जनवरी प्रेस कांफ्रेंस में जो हुआ वो वास्तव में अभूतपूर्व था। अभूतपूर्व घटनाओं के अभूतपूर्व परिणाम होते हैं। चेलमेश्वर ने कहा कि वह सिस्टम से लड़ रहे थे और न्यायपालिका के साथ समस्याएं बनी हुई हैं।
जो पावर में हैं वो किससे और क्यों मिल रहे हैं?
यह अहम सवाल है प्रेस कॉन्फ्रेंस वाले राज्य सभा के सदस्य डी राजा के उनके घर पहुंचने पर जब चेलमेश्वर ने प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा, ‘ये बात अनावश्यक है कि उस रोज मुझसे कौन मिल और कौन नहीं मिला। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि, जो पावर में हैं वो किससे और क्यों मिल रहे हैं? उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की पदोन्नति का जस्टिस चेलमेश्वर खुल का समर्थन किया। उन्होंने कहा, जस्टिस जोसेफ बहुत अच्छे जज हैं। ये बात मैंने दो साल पहले कही थी।