पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहा है कि तपती गर्मी में चुनाव की इतनी लंबी अवधि उचित नहीं। इस बाबत सर्वदलीय बैठक होनी चाहिए कि चुनाव फरवरी-मार्च या फिर अक्टूबर-नवंबर में हो। इतने चरण भी ठीक नहीं। एक चरण तो आइडियल है पर अगर तीन चरण तक भी हो जाए तो बेहतर है। चुनाव के बाद वह सभी राजनीतिक दल के अध्यक्षों को इस बारे में लिखेंगे।
मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि 23 (मतगणना की तिथि) कितना टफ रहेगा तो उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से रिलैक्स हैैं। किसी चीज को टफ नहीं मानते हैैं। इसकी वजह यह है कि हम अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और परिश्रम के साथ करते हैैं। 44 डिग्री तापमान में मैैंने चुनाव प्रचार किया। लोकतंत्र में तो जनता मालिक है।
2015 में अगर हमलोग साथ नहीं होते तो नहीं बढ़ती लालू की प्रतिष्ठा
मुख्यमंत्री ने कहा कि महागठबंधन में उनकी वापसी की बात बकवास है। यह भूलना नहीं चाहिए कि वर्ष 2015 में लालू प्रसाद की प्रतिष्ठा इसलिए बढ़ी कि हमलोग साथ में थे। ऐसी परिस्थिति बनी कि उन्हें छोडऩा पड़ा। अब साथ जाने का कहां प्रश्न है?
सीएम ने कहा कि उनसे हमने तो केवल सफाई मांगी थी। न वह कर पाए और न ही कांग्रेस यह करा पाई। अचानक एक नया गठबंधन बना जिसे हमने स्वीकार किया। प्रशांत किशोर को हम क्यों भेजेंगे उनके पास? अपने को चर्चा में रखने के लिए वे लोग ऐसी बात करते हैैं।
साध्वी प्रज्ञा और धारा 370 पर भी खुलकर बोले
भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे के महिमा मंडन प्रकरण पर मुख्यमंत्री से जब उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई तो उन्होंने कहा कि यह बर्दाश्त नहीं है। यह देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का है। उनके बारे में कोई कुछ कहे यह ठीक नहीं है।
साध्वी प्रज्ञा पर कार्रवाई की मांग के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं इस बारे में कहा है। यह भाजपा का अंदरुनी मामला है। धारा 370 और कॉमन सिविल कोड के संबंध में भाजपा नेताओं की आ रही टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन क्या कह रहा है यह हम नहीं जानते पर पर इन मामलों में उनके दल की स्पष्ट राय काफी पहले से रही है। धारा 370 हटाने के पक्ष में वह किसी कीमत पर नहीं हो सकते। वह इन बातों से समझौता नहीं कर सकते।