पूरे देश में खतरनाक होते जा रहे कोरोना वायरस के कहर के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में जारी कुंभ मेला को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी अखाड़ा ने कुंभ मेला की समाप्ति की घोषणा कर दी है। गुरुवार शाम को निरंजनी अखाड़ा ने ऐलान किया कि कोरोना के बिगड़ते हालात को देखते हुए अखाड़े के लिए कुंभ मेला संपन्न हो गया है। अखाड़ा ने कई सदस्यों में कोरोना के लक्षण आने के बाद यह निर्णय लिया है।
निरंजनी अखाड़ा के सचिव और अखाड़े के कुंभ प्रभारी श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने गुरुवार शाम यह घोषणा करते हुए हरिद्वार कुंभ में आए अखाड़े के सभी संत-महात्माओं से कुंभ समाप्त कर अपना-अपना छत्र कमंडल लेकर मूल स्थानों पर लौट जाने का अनुरोध किया है। बाहर से आए संत-महात्माओं से भी लौटने का अनुरोध किया गया है।
पत्रकारों से बातचीत में महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि 27 अप्रैल चैत पूर्णिमा का स्नान वह लोग प्रतीकात्मक करेंगे। संतों की भीड़ नहीं रहेगी, केवल प्रमुख संत अकेले जाकर स्नान करेंगे। कोई शाही जुलूस नहीं निकलेगा और ना ही शाही स्नान होगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सभी संत-महात्मा जो बाहर से आए थे, उन्हें लौटने का अनुरोध कर लिया गया है और 17 अप्रैल तक अखाड़ा परिसर बाहर से आने वाले संतों से खाली हो जाएगा।
वहीं, आनंद अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी ने भी अपने अखाड़े के लिए कुंभ मेले की समाप्ति की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि चैत पूर्णिमा का स्नान अखाड़े के स्थानीय संत प्रतीकात्मक रूप में करेंगे। उन्होंने बाहर से आए संतों और भक्तों को वापसी के लिए कहा है। अब न तो शाही स्नान होगा और न ही शाही जुलूस निकलेगा।
वहीं कई अखाड़ों की तरफ से कुंभ की समाप्ति की घोषणा पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरिगिरि ने कहा कि यह आखाड़ा परिषद का निर्णय नहीं है, लेकिन जिन आखाड़ों ने अपने लिए कुंभ की समाप्ति की घोषणा की है, वह उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री के तौर पर वह सरकार को पहले ही लिखकर दे चुके हैं कि संक्रमण बढ़ने पर सभी आखाड़े प्रतिकात्मक कुंभ स्नान करेंगे।