सोनभद्र: एनजीटी ने दिसंबर माह से सड़क मार्ग से कोयला परिवहन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यानि दिसंबर से ही मार्ग से कोयले का परिवहन पूरी तरह बंद करना पड़ेगा। ऐसे में जहां रेलमार्ग से कोयला जाता है, उन परियोजनाओं को तो कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन जो परियोजनाएं या कंपनियां सड़क मार्ग से कोयला लेती हैं, उनका संकट बढ़ जाएगा।
कोयले की ढ़ुलाई से प्रदूषण का ग्राफ क्षेत्र में बढ़ता जा रहा
बिजली परियोजनाओं को सड़क मार्ग से हो रही कोयले की ढ़ुलाई से प्रदूषण का ग्राफ क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर एनजीटी के तमाम आदेशों के बावजूद कोई सार्थक परिणाम निकलते नहीं दिख रहा है। सड़क मार्ग से कोयले की ढुलाई के संबंध में एनजीटी के तमाम आदेशों के बावजूद ऊर्जांचल में सड़क मार्ग से बिना ढंके कोयले की ढुलाई हो रही है। वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर ओवरलोड और बिना ढंके हुए कोयले की गाड़ियां फर्राटा भर रही हैं। इससे एक ओर जहां प्रदूषण बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर ओवरलोड वाहन सड़कों और स्थानीय नागरिकों के लिए भी एक मुसीबत बन रहे हैं।
तीन बार इसकी समय सीमा बढ़ाई जा चुकी
सड़क मार्ग से पहले भी प्रतिबंध लगा था लेकिन तीन बार इसकी समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है। ऐसे में दिसंबर के बाद फिर कोई नई तारीख मिलती है या कोयला परिवहन पर प्रतिबंध लग जाता है, यह देखने वाली बात होगी। कहां जाता है कोयला खदानों से निकलने वाले कोयले का मुख्य रूप से ट्रेन से परिवहन किया जाता है। हालांकि ट्रेन से कोयला लेने वालों में चंद बड़ी और सरकारी परियोजनाएं ही शामिल हैं, जिनका एनसीएल या कोल इंडिया से करार है। शेष अन्य परियोजनाएं लैंको, ¨हडाल्को, रिलायंस आदि रोपवे और सड़क परिवहन के माध्यम से कोयला मंगवाते हैं। जिन्हें स्थानीय ट्रांसपोर्टर इन कंपनियों तक पहुंचाते हैं। यदि दिसंबर से सड़क मार्ग से कोयले के परिवहन पर प्रतिबंध लग जाता है तो इन कंपनियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में या तो इन्हें भी ट्रेन की नई लाइन बिछानी होगी या यूपीपीसीएल से किसी तरह का करार करना होगा।
कोयला परिवहन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया
कोयला परिवहन को लेकर एनजीटी के आदेश बेहद सख्त हैं। पहले तो एनजीटी ने सड़क से कोयला परिवहन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन कंपनियों द्वारा काम बंद होने की दलील देने के बाद एनजीटी ने एक समय सीमा तक सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की अनुमति दे दी। यह समय सीमा इस साल दिसंबर में समाप्त हो रही है। दिसंबर के बाद सड़क मार्ग से कोयला परिवहन प्रतिबंधित हो जाएगा। हालांकि पहले भी कई बार यह समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है। सड़क से परिवहन की अनुमति के साथ ही एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि कोयले को पूरी तरह तिरपाल या मोटी प्लास्टिक से ढंककर ही ले जाया जाएगा। साथ ही हर गाड़ी को वन विभाग से अनुमति लेनी होगी। बोले अधिकारी
कोयला उत्पादन कंपनियों जैसे एनसीएल और कोल इंडिया को इस बाबत बता दिया गया है कि दिसंबर से सड़क मार्ग से कोयले के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रदूषण को लेकर पहले भी इन कंपनियों को कई बाद निर्देश दिये गये हैं। सड़कों पर ओवरलोड और बिना ढ़ंके कोयला परिवहन को लेकर आरटीओ को भी निर्देश दिया जायेगा कि नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाना सुनिश्चित करें।