नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। मंत्रालय पहले ही सभी राज्यों को नए दिशा निर्देशों के बारे में सूचित कर चुका है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जून की शुरुआत में हुई एक बैठक के दौरान यह फैसला किया था कि मोदी की सुरक्षा को बढ़ाए जाने की जरूरत है। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा और खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन शामिल हुए थे।पीएम मोदी की सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को भेजे गए अलर्ट के साथ कहा है कि उनकी विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे। इस घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों के अनुसार मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है और 2019 के आम चुनाव से पहले वह सबसे अधिक निशाने पर हैं।
समझा जाता है कि एसपीजी ने सत्तारुढ़ भाजपा के मुख्य प्रचारकर्ता मोदी को 2019 के आम चुनाव के सिलसिले में रोड शो कम करने और उसके बजाय जनसभाएं करने की सलाह दी है क्योंकि रोड शो के दौरान खतरे का डर अधिक होता है एवं जनसभाओं का प्रबंधन आसान होता है। नक्सलियों द्वारा मोदी की हत्या की कथित साजिश रचने के चलते यह फैसला लिया गया।
रोड शो के दौरान निशाना बनाए जाने का जिक्र
महाराष्ट्र पुलिस ने सात जून को पुणे में एक अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने छह जून को दिल्ली के निवासी रोना विल्सन के घर से एक ‘पत्र’ जब्त किया था जिसमें मोदी को रोड शो के दौरान निशाना बनाए जाने का जिक्र था। रोना विल्सन छह जून को गिरफ्तार हुए उन लोगों में से एक है, जिन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप हैं। इस पत्र में बताया गया कि देश की जनता खासतौर से दलित समुदाय भय के माहौल में जी रही है। देश में जिस तरह का माहौल बना हुआ है उसके लिए मोदी राज जिम्मेदार है, और उससे मुक्ति पाने के लिए राजीव गांधी जैसे हत्याकांड को अंजाम देने की जरूरत है। तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में 21 मई 1991 को आत्मघाती बम हमले में कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। वह अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे।