चीन के लैंड बार्डर लॉ पर भारत की कड़ी आपत्ति के बाद अब ड्रैगन की सफाई आई है। चीन ने कहा है कि इसका नया भूमि सीमा कानून (Land Border Law) मौजूदा सीमा संधियों को प्रभावित नहीं करेगा या सीमा संबंधी सवालों पर देश की स्थिति को नहीं बदलेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि देशों को चीन के घरेलू कानूनों के बारे में अटकलों से बचना चाहिए। चीन की ये प्रतिक्रिया नई दिल्ली द्वारा कानून के बारे में कड़ा रुख अख्तियार करने के एक दिन बाद आई है। चीन की संसद ने पिछले दिनों एक कानून पारित किया, जिसमें ये बताया गया कि सैन्य और स्थानीय अधिकारी भारत समेत 14 देशों के साथ साझा की गई देश की 22,000 किमी भूमि सीमा को कैसे गवर्न करेंगे और उसकी रक्षा करेंगे।
चीन का नया कानून एक जनवरी से लागू किया जाएगा। इसे भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी लंबे सैन्य गतिरोध के बीच लाया गया है। कानून में देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को विशेष जोर दिया गया है। कानून में यह भी कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश कदम उठा सकता है। कानून चीन की भूमि सीमाओं की सैन्य रक्षा के साथ जोड़ता है।
भारत द्वारा आपत्ति जताने के बाद गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि संबंधित देश चीन में कानून के बारे में अनुचित अटकलें लगाने से बच सकते हैं। इस कानून में अपने पड़ोसी देशों के साथ चीन के सहयोग और भूमि सीमा मुद्दों से निपटने पर स्पष्ट शर्तें हैं। ये चीन के मौजूदा सीमा संधियों के कार्यान्वयन को प्रभावित नहीं करेगा। साथ ही ये कानून पड़ोसी देशों के साथ हमारे सहयोग में मौजूदा अभ्यास को भी नहीं बदलेगा। हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कानून सीमा मुद्दों पर चीन की स्थिति को नहीं बदलेगा।