नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर का दरवाजा सभी उम्र की महिलाओं के लिए खुल गया है। इस मामले में मंदिर की तरफ से ऐसे वकील ने केस लड़ा, जिन्होंने आईआईटी से इंजीनियरिंग की थी। हालांकि कोर्ट ने उनकी दलीलें नहीं मानी। 32 वर्षीय वकील जे साई दीपक ने सबरीमाला मंदिर प्रबंधन के फैसले को सही ठहराने के लिए कई तर्क दिए। 26 जुलाई को जब मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी, उस दीपक ने भगवान की तरफ से दलीलें पेश की थीं।
तर्कों से प्रभावित हुई पीठ ने 90 मिनट तक बोलने का दिया मौका
उन्होंने कहा था अब तक केस में भगवान के अधिकारों की किसी ने चर्चा ही नहीं की। दीपक को बहस के लिए 15 मिनट का वक्त मिला था। दीपक के मुताबिक उनके तर्कों से प्रभावित हुई पीठ ने 90 मिनट तक बोलने का मौका दिया था।
तर्कों से सबको कर दिया हैरान
सुनवाई के दौरान वकील दीपक ने भगवान के अधिकारों के लिए दलील कोर्ट में दलील पेश कर अपने तर्कों से सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि सबरीमाला के भगवान अयप्पा को संविधान के अनुच्छेद 21, 25 और 26 के तहत ‘नैष्ठिक ब्रह्मचारी’ बने रहने का भी अधिकार है। इस नाते मंदिर में महिलाओं के दाखिल होने पर प्रतिबंद जारी रखना चाहिए। हालांकि शुक्रवार को संविधान पीठ ने इस मसले को संवैधानिक दृष्टि के तहत ही देखने का फैसला लिया।
साई दीपक की प्रोफाइल
साई दीपक ने 2002-2006 के बीच अन्ना यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) खड़गपुर से 2006-09 के बीच विधि में स्नातक की पढ़ाई की। 2009 से वकालत शुरू की। 2016 में लॉ चेंबर्स की स्थापना की। वह दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं।