नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान यूपी की राजधानी लखनऊ और नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल के अंदर बनाई गई मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मामले पर सियासी घमासान छिड़ गया है। दरअसल, मूर्तियों के मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील से कहा कि अपने क्लाइंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए।
बुआ-बबुआ को मिलकर जनता के पैसे का भुगतान करना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भाजपा ने मायावती पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि बसपा की सरकार में जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया। भाजपा ने कहा कि मायावती को दलितों-गरीबों से कोई सरोकार नहीं है और अब बुआ-बबुआ को मिलकर जनता के पैसे का भुगतान करना चाहिए। वहीं, इस मामले पर मायावती ने भी ट्वीट कर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है।
स्मारक उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल
मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल, स्मारक, पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है। मीडिया कृप्या करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे। माननीय न्यायालय में अपना पक्ष जरूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जाएगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी माननीय न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें, तो बेहतर है।’