औरंगाबाद : मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मराठा आंदोलनकारियों ने आज महाराष्ट्र के कई ज़िलों में बंद बुलाया है। मराठा आरक्षण के मामले में हो रही देरी और सोमवार को प्रदर्शन के दौरान नदी में कूदकर एक शख्स की खुदकुशी के विरोध में बुलाए गए महाराष्ट्र बंद हिंसक होने लगा है। औरंगाबाद में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्होंने ट्रकों में आगजनी की। इस बीच मंगलवार को दो और युवकों ने नदी में कूदकर जान देने की कोशिश की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने विरोध में अपने सिर मुंडवा लिए। बंद का सबसे ज्यादा असर मराठवाड़ा इलाके में दिख रहा है। यहां स्कूल और कॉलेज बंद हैं। औरंगाबाद में इंटरनेट सेवाएं रोक दी गईं और प्रदर्शनकारी धरना दे रहे हैं। आपको बता दें कि मराठा आंदोलन उग्र होने की वजह से उस्मानाबाद शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
औरंगाबाद-पुणे मार्ग बंद
औरंगाबाद-पुणे मार्ग भी बंद है। यहां मराठा क्रांति मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। औरंगाबाद में सरकारी बसों की सेवा मंगलवार को बंद है। मराठा आरक्षण बिल के लिए हो रहे प्रदर्शन के चलते महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे को मराठवाड़ा जिले के टूर को छोटा कर दिया।
मृतक के परिवार को मुआवजा देने का वादा
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सोमवार को औरंगाबाद जिले के सिल्लोड तहसील स्थित कायगांव टोक में एक 28 वर्षीय युवक काका साहेब दत्तात्रय शिंदे ने गोदावरी नदी में छलांग लगा दी थी। उसकी मौत के बाद मराठा आंदोलन घटनास्थल पर अधिक आक्रामक हो गया। मृतक के परिवार को मुआवजा और भाई को नौकरी देने का वादा प्रशासन की ओर से किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, औरंगाबाद और उस्मानाबाद को छोड़कर राज्य के दूसरे हिस्सों में महाराष्ट्र बंद का कोई खास असर नहीं दिख रहा है। इसकी वजह है कि महाराष्ट्र क्रांति मोर्चा के ‘महाराष्ट्र बंद’ में मुंबई-पुणे, सातारा, सोलापुर शामिल नहीं हैं।
जानें क्यों उग्र हो गया है मराठा समाज
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ राज्य के सबसे बड़े मराठा समाज में आग सुलग रही है। मराठों का गुस्सा उबाल मार रहा है। 72 हजार सरकारी नौकरियों की भर्ती में मराठों के लिए 16 प्रतिशत पद आरक्षित रखने का सीएम का फैसला इस आग को ठंडा करने के बजाय और भड़का रहा है। पूजा करने पंढरपुर न जाने के मुख्यमंत्री के फैसले पर भी मराठा समाज नाराज है। मराठा समाज को लग रहा है कि मुख्यमंत्री ने यह फैसला मराठों को अपमानित करने के लिए लिया है।