मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के पहले एक बार फिर से बड़ा खेला हो सकता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) महायुति को बाहर निकल सकती है। ऐसी स्थिति में अजित पवार उप मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। राजनीतिक हलकों में इस बात की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है कि अजित पवार अकेले या फिर कुछ छोटे दलों के समूह के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। अजित पवार पिछले काफी समय से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की रीब्रांडिंग करने में जुटे हुए हैं। वह जन सम्मान यात्रा के जरिए राज्य भर के लोगों के बीच जा रहे है। अगर अजित पवार के महायुति से निकलने के बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।
पिछले साल भले ही अजित पवार बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति में चले गए थे और राज्य के उप मुख्यमंत्री बने थे। इसके साथ उनके साथ गए विधायकों में नौ को मंत्री बनने का मौका मिला था, लेकिन लोकसभा चुनावों ने यह साफ कर दिया है कि अजित पवार के वोट महायुति यानी बीजेपी और शिवसेना के कैंडिडेट को ट्रांसफर नहीं हुए है। ऐसा ही अजित पवार के साथ हुआ कि उन्हें बीजेपी और शिवसेना के वोट नहीं मिले हैं। बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने यह खुद स्वीकार किया है।
अजित पवार भले ही राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनकी पार्टी को दोहरी मार पड़ रही है। बीजेपी और शिवसेना का कैडर उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है और अपने लोग नाराज हो गए हैं। अजित पवार ने उम्मीद की थी कि उसके साथ लोग भी आएंगे। बारामती में उनकी पत्नी की हार ने यह साफ किया है लोग उनसे नाराज हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने जहां अजित पवार के अपने लोग दूर हुए हैं और नाराज हैं तो वहीं दूसरी मुस्लिम मतदाताओं ने भी दूरी बनाई है। मुंबई में नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी जैसे नेताओं के एनसीपी से लड़ने की उम्मीद है अगर वे महायुति के कैंडिडेट होते हैं तो उन्हें बड़ा चेहरा होने के बाद मुस्लिम वोट पाने में मुश्किल होगी। मुस्लिम वोट मजबूती से एमवीए में लामबंद हुआ है।
महायुति सरकार में अजित पवार भले ही उप मुख्यमंत्री हैं, लेकिन दोनों नेताओं से सीनियर और ज्यादा अनुभवी होने के कारण भी उनकी स्थिति तीसरे नंबर की है। यह भी एक वजह है कि अजित पवार को वह माइलेज नहीं मिलता है। जो वह सोचते हैं। उनके नजदीकी लोग असहजता का यह बड़ा कारण मानते हैं।